Saturday 30 April 2022

न्यायपालिका:अपेक्षा

 सरकारें सबसे बड़ी वादी, कार्यकापालिका और विधायिका के चलते लंबित मामलों की भरमार: प्रधान न्यायाधीश

        प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमण ने शनिवार को सरकारों को 'सबसे बड़ा वादी' करार दिया और कहा कि 50 प्रतिशत लंबित मामलों के लिये वे जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि कार्यपालिका और विधायिका की विभिन्न शाखाओं के अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं करने के कारण लंबित मामलों का अंबार लगा हुआ है।


प्रधान न्यायाधीश ने कार्यपालिका द्वारा न्यायिक आदेशों की अवहेलना से उत्पन्न अवमानना ​​​​मामलों की बढ़ती संख्या का उल्लेख किया और कहा कि 'न्यायिक निर्देशों के बावजूद सरकारों द्वारा जानबूझकर निष्क्रियता दिखाना लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है'।


प्रधान न्यायाधीश ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में भारतीय न्यायपालिका के सामने प्रमुख समस्याओं जैसे लंबित मामले, रिक्तियां, घटते न्यायाधीश-जनसंख्या अनुपात और अदालतों में बुनियादी ढांचे की कमी को रेखांकित किया।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त सम्मेलन का उद्घाटन किया।


प्रधान न्यायाधीश ने राज्य के तीन अंगों - कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका - को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय 'लक्ष्मण रेखा' के प्रति सचेत रहने की याद दिलाई। उन्होंने सरकारों को आश्वस्त किया कि 'न्यायपालिका कभी भी शासन के रास्ते में नहीं आएगी, अगर यह कानून के तहत चलता है तो।' 


न्यायमूर्ति रमण ने कहा, 'हम लोगों के कल्याण के संबंध में आपकी चिंताओं को समझते हैं।' 


उन्होंने कहा कि सभी संवैधानिक प्राधिकारी संवैधानिक आदेश का पालन करते हैं, क्योंकि संविधान तीनों अंगों के बीच शक्तियों के पृथक्करण, उनके कामकाज के क्षेत्र, उनकी शक्तियों और जिम्मेदारियों का स्पष्ट रूप से प्रावधान करता है।


प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'यह एक अच्छी तरह से स्वीकार किया गया तथ्य है कि सरकारें सबसे बड़ी वादी हैं, जो लगभग 50 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार हैं।' 


उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे कार्यपालिका की विभिन्न शाखाओं की निष्क्रियता नागरिकों को अदालतों का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर करती है।


प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'इन उदाहरणों के आधार पर, कोई भी संक्षेप में कह सकता है कि, अक्सर, दो प्रमुख कारणों से मुकदमेबाजी शुरू होती है। एक, कार्यपालिका की विभिन्न शाखाओं का काम न करना। दूसरा, विधायिका का अपनी पूरी क्षमता को नहीं जानना।'


सीजेआई ने कहा कि अदालतों के फैसले सरकारों द्वारा वर्षों तक लागू नहीं किए जाते और इसका परिणाम यह है कि अवमानना ​​​​याचिकाएं अदालतों पर बोझ की एक नयी श्रेणी बन गई हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रत्यक्ष रूप से सरकारों द्वारा अवहेलना का परिणाम है।

local languages in courts

      -PM bats of use of local languages in courts-

            Prime Minister Narendra Modi on Saturday made a strong pitch for use of local languages in courts, contending that it will increase the confidence of common citizens in the justice system and they will feel more connected to it.


He also appealed to chief ministers and chief justices of high courts to give priority to cases related to undertrial prisoners languishing in jails and release them, as per law, based on human sensitivities, and asserted that judicial reform is not merely a policy matter.


Human sensitivities are involved and they should be kept in the centre of all deliberations, Modi said.


In every district there is a committee headed by the district judge, so that these cases can be reviewed and wherever possible, such prisoners may be released on bail, the prime minister said.


"I would appeal to all CMs and CJs of high courts to give priority to these matters on the basis of humanitarian sensibility and the law," he said.


Addressing the inaugural session of the joint conference of chief ministers and chief justices of high courts, being held after a gap of six years, the prime minister said a group is looking into making legislations in two formats -- one in typical legal language and the other in simple language which can be understood by ordinary people. 


He said it is in practice in various countries and both the formats are considered as legally acceptable.


On the issue of court proceedings, Modi said, "We need to encourage local languages in courts. This will not only increase the confidence of common citizens in the justice system but they will feel more connected to it." 


Before the prime minister spoke, Chief Justice of India (CJI) N V Ramana said there was a need for the legal system to introduce local languages in courts. 


Referring to the CJI's remarks, Modi said newspapers have got a positive headline.


The prime minister also appealed to chief ministers to repeal outdated laws to make delivery of justice easier.


"In 2015, we identified about 1,800 laws which had become irrelevant. Out of these, 1,450 such laws of the Centre were abolished. But, only 75 such laws have been abolished by the states," he said.


Prime Minister Modi said as India celebrates the 75th anniversary of Independence, focus should be on creation of a judicial system where justice is easily available, is quick and for everyone.


"In our country, while the role of the judiciary is that of the guardian of the Constitution, the legislature represents the aspirations of citizens. I believe that the confluence of these two will prepare the roadmap for an effective and time-bound judicial system in the country," he said.


Modi said that 75 years of Independence have continuously clarified the roles and responsibilities of both the judiciary and the executive. Wherever it is necessary, this relation has evolved continuously to give direction to the country, he said.


The prime minister emphasised that the government is working hard to reduce delay in justice delivery and efforts are on for increasing judicial strength and improving judicial infrastructure. 


He said information communication technology has been deployed for case management and efforts to fill vacancies at various levels of the judiciary are underway.


Modi reiterated his vision of use of technology in governance in the context of judicial work. The government considers the possibilities of technology in the judicial system as an essential part of the Digital India mission, he said.


He appealed to chief ministers and chief justices of high courts to take this forward. The e-courts project is being implemented in mission mode, Modi said. 


He also gave example of success of digital transactions as they are becoming common in small towns and even in villages.


Out of all the digital transactions that took place in the world last year, 40 per cent took place in India, he said.


The prime minister said nowadays, subjects such as blockchains, electronic discovery, cybersecurity, robotics, artificial intelligence and bioethics are being taught in law universities in many countries. 


"It is our responsibility that in our country also legal education should be according to these international standards," he said.


Modi said mediation is also an important tool for settlement of pending cases in courts especially at the local level. There is a thousands of years old tradition of settlement of disputes through mediation in our society, he said.


Mutual consent and mutual participation, in their own way, are a distinct human concept of justice, Modi said. 


With this thinking, the prime minster said, the government has introduced the Mediation Bill in Parliament as an umbrella legislation. 


"With our rich legal expertise, we can become a global leader in the field of solution by mediation. We can present a model to the whole world," Modi felt.

Friday 29 April 2022

न्यायाधीश, नियुक्तियां और न्यायपालिका

 -प्रधान न्यायाधीश ने न्यायाधीशों की नियुक्तियों के लिए नामों की सिफारिश का अनुरोध किया-

      प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई)एन वी रमण ने उच्च न्यायालय में रिक्तियों के मुद्दे को शुक्रवार को रेखांकित किया और सभी 25 उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से इन पदों के लिए नाम शीघ्र भेजने का अनुरोध किया।


न्यायमूर्ति रमण ने यहां 39वें मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान यह अनुरोध किया। यह सम्मेलन छह वर्ष बाद हुआ है। इसमें सीजेआई ने बैठक के उद्देश्य की जानकारी दी और कहा कि, ‘‘आज के सम्मेलन का मकसद चर्चा करना और उन समस्याओं की पहचान करना है जो न्याय के प्रशासन को प्रभावित कर रही हैं।’’ 


उन्होंने कहा कि छह वर्ष पहले हुए मुख्य न्यायाधीश (सीजे) सम्मेलन में जो प्रस्ताव पारित हुए थे उनके क्रियान्वयन में हुई प्रगति को देखने के अलावा बैठक में न्यायपालिका से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी, जिनमें उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्तियों से लेकर नेटवर्क को मजबूत करने और देश भर की सभी अदालत परिसरों में संपर्क बढ़ाना शामिल है।


न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘मैं रिक्तियों का मुद्दा उठाना चाहूंगा। आप याद कर सकते हैं कि मेरी आपसे पहली चर्चा में रिक्तियों को भरने पर बात हुई थी। मैंने आप सभी से पहली ऑनलाइन बातचीत के दौरान अनुरोध किया था कि आप उच्च न्यायालयों में पदस्थापन के लिए नामों की अनुशंसा करने में तेजी लाएं, जिसमें सामाजिक विविधता पर जोर हो....।’’ 


उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, ‘‘ मैं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों से अनुरोध करता हूं, जहां अभी भी रिक्तियां हैं, कि वे पदस्थापन के लिए शीघ्रता से नाम भेंजे।’’ 


न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘ हमारे सम्मिलित प्रयासों से हम एक वर्ष से कम वक्त में विभिन्न उच्च न्यायालयों में 126 रिक्तियों को भर सके। हमें 50 और नियुक्तियां होने की उम्मीद है। ये उपलब्धि आपके पूरे सहयोग और संस्था के प्रति प्रतिबद्धता के कारण ही हासिल हुई है।


इस सम्मेलन में भारत भर में न्यायालय परिसरों में आईटी बुनियादी ढांचे और संपर्क को मजबूत करने के मुद्दे पर चर्चा होगी। बैठक में मानव संसाधन, कार्मिक नीति और जिला अदालतों की जरूरतों के मुद्दे पर भी चर्चा की जाएगी। इसमें शीर्ष अदालत के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर भाग ले रहे हैं।

स्टार्ट-अप,इको-सिस्टम

 भारत के पास दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला स्टार्ट-अप इको-सिस्टम है: प्रधानमंत्री मोदी

          प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत एक मजबूत अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है और देश में अर्ध-चालकों (सेमी-कंडक्टर) की खपत 2030 तक 110 अरब अमरीकी डॉलर को पार करने की उम्मीद है और यह दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता स्टार्ट-अप ‘इको-सिस्टम’ है।


उन्होंने कहा कि भारत अगली प्रौद्योगिकी क्रांति का नेतृत्व करने के लिए तैयार है और अन्य चीजों के साथ ही 5जी में क्षमताओं को विकसित करने में निवेश किया जा रहा है।


यहां सेमीकॉन इंडिया-2022 सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मोदी ने कहा, “हम भारत के लिए अगली प्रौद्योगिकी क्रांति का नेतृत्व करने का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। हम छह लाख गांवों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने की राह पर हैं। हम 5जी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में क्षमताओं के विकास में निवेश कर रहे हैं।” 


उन्होंने कहा, “भारत में अर्धचालकों की खपत 2026 तक 80 अरब डॉलर और 2030 तक 110 अरब डॉलर को पार करने की उम्मीद है।” देश के आर्थिक स्वास्थ्य के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते स्टार्टअप इको-सिस्टम के साथ मजबूत आर्थिक विकास की ओर अग्रसर है, जहां हर कुछ हफ्तों में नए यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर वाला स्टार्टअप) सामने आ रहे हैं।


मोदी ने उद्योग जगत से भारत को वैश्विक सेमी-कंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाओं में प्रमुख भागीदारों में से एक के रूप में स्थापित करने और हाई-टेक, उच्च गुणवत्ता और उच्च विश्वसनीयता के सिद्धांत के आधार पर इस दिशा में काम करने का आह्वान किया।


भारत के सेमी-कंडक्टर प्रौद्योगिकियों के लिए एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनने के कारणों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हम 1.3 अरब से अधिक भारतीयों को जोड़ने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे हैं और यूपीआई आज भुगतान के लिये दुनिया का सबसे कुशल बुनियादी ढांचा है।” 


मोदी ने यह भी कहा कि देश स्वास्थ्य और कल्याण से लेकर समावेश और सशक्तिकरण तक शासन के सभी क्षेत्रों में जीवन को बदलने के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग कर रहा है।


प्रधानमंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि देश 21वीं सदी की जरूरतों के लिए युवा भारतीयों के कौशल और प्रशिक्षण में भारी निवेश कर रहा है।


प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमारे पास एक असाधारण अर्धचालक डिजाइन प्रतिभा पूल है जो दुनिया के अर्धचालक डिजाइन इंजीनियर का 20 प्रतिशत है।”

Sunday 24 April 2022

भारत में एड्स रोगी

 -देश में बीते 10 साल में असुक्षित यौन संबंध के कारण 17 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हुए-

           देश में बीते 10 साल में असुरक्षित यौन संबंध के कारण 17 लाख से अधिक लोग एचआईवी से संक्रमित हुए हैं। यह जानकारी राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन ने एक आरटीआई आवेदन के जवाब में उपलब्ध कराई है। 


हालांकि ‘ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस’ (एचआईवी) से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या पिछले 10 साल में काफी कम हुई है। 2011-12 में असुरक्षित यौन संबंध के कारण एचआईवी से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या 2.4 लाख थी जबकि 2020-21 में यह घटकर 85,268 रह गई। 


मध्य प्रदेश के निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ के आवेदन के जवाब में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) ने बताया कि 2011-2021 के बीच भारत में असुरक्षित यौन संबंध के कारण 17,08,777 लोग एचआईवी से संक्रमित हुए।


आंध्र प्रदेश में एचआईवी संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए जहां 3,18,814 लोग इस विषाणु की चपेट में आए। इसके बाद महाराष्ट्र में 2,84,577, कर्नाटक में 2,12,982, तमिलनाडु में 1,16,536, उत्तर प्रदेश में 1,10,911 और गुजरात में 87,400 मामले दर्ज किए गए। 


जांच संबंधी आंकड़ों के मुताबिक, 2011-12 से 2020-21 के बीच रक्त और रक्त उत्पाद के जरिए 15,782 लोग एचआईवी से पीड़ित हुए जबकि मांओं के जरिए 4,423 बच्चों को यह बीमारी फैली। 


आंकड़ों के अनुसार, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एचआईवी संक्रमण के मामलों में कमी देखी गई है। 


देश में 2020 तक 81,430 बच्चों सहित एचआईवी पीड़ित लोगों की संख्या 23,18,737 थी। 


जवाब के मुताबिक, जांच के दौरान संक्रमित व्यक्तियों ने परामर्शदाताओं को बताया कि वे किस वजह से एचआईवी से संक्रमित हुए हैं और इसी पर यह सूचना आधारित है। 


एचआईवी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है। अगर एचआईवी का इलाज नहीं कराया जाए तो यह एड्स (एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम) बन जाता है। 


यह विषाणु असुरक्षित यौन संबंध के अलावा, संक्रमित व्यक्ति के रक्त के संपर्क में आने से भी हो सकता है। एचआईवी से संक्रमित होने के चंद हफ्तों के अंदर ही प्रभावित व्यक्ति को फ्लू जैसे लक्षण हो सकते हैं जैसे कि बुखार, गला खराब होना और कमजोरी होना।


इसके बाद बीमारी के तब तक कोई लक्षण नहीं होते हैं जब तक कि यह एड्स नहीं बन जाए। एड्स के लक्षणों में वज़न घटना, बुखार या रात में पसीना आना, कमजोरी और बार-बार संक्रमण होना शामिल है। 


एचआईवी का कोई प्रभावी उपचार नहीं है, लेकिन इस तरह की दवाइयां हैं जिससे इसे प्रंबधित किया जा सकता है।


गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट में इंटरनल मेडिसिन के निदेशक सतीश कौल ने बताया कि भारत में एचआईवी की स्थिति पिछले एक दशक में स्थिर हुई है। 


उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, “भारत में एनएसीए का एक बहुत अच्छा नेटवर्क है, जो एचआईवी रोगियों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। ‘हाइली एक्टिव एंटी रेट्रोवायरल’ उपचार (एचएएआरटी) आसानी से उपलब्ध है। वास्तव में वर्ष 2000 से एचआईवी संक्रमित रोगियों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है।” 


द्वारका स्थित आकाश हेल्थकेयर में इंटरनल मेडिसिन के वरिष्ठ परामर्शदाता प्रभात रंजन सिन्हा ने कहा कि कोविड-19 महामारी संबंधी प्रतिबंधों के चलते बीते दो साल से देश में एचआईवी के मामले कम पता चल रहे हैं। 


उन्होंने कहा, “अब कोविड खत्म हो रहा है तो एचआईवी के मामलों की संख्या में इज़ाफा हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित पाया जाता है तो उसे जल्द से जल्द एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) दी जानी चाहिए।”

भारत में डिजिटल कारोबार

 -देश में प्रतिदिन करीब 20,000 करोड़ रुपये का डिजिटल लेनदेन हो रहा-

           प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि देश में प्रतिदिन करीब 20,000 करोड़ रुपये का ‘‘डिजिटल लेन-देन’’ हो रहा है और इससे देश में एक डिजिटल अर्थव्यवस्था तैयार हो रही है। उन्होंने कहा कि साथ ही साथ सुविधाएं बढ़ने के अलावा इससे देश में ईमानदारी का माहौल भी बन रहा है।


आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘‘मन की बात’’ के 88वें संस्करण में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब तो गली-नुक्कड़ की छोटी-छोटी दुकानों में भी डिजिटल लेन-देन हो रहा है और इससे ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को सेवाएं देना आसान हो गया है।


उन्होंने दिल्ली की रहने वाली दो बहनों सागरिका और प्रेक्षा के ‘‘कैशलेस डे आउट’’ के संकल्प का अनुभव साझा किया और देशवासियों से आग्रह किया वह भी इसे अपनाएं।


उन्होंने कहा, ‘‘घर से यह संकल्प लेकर निकलें कि दिन भर पूरे शहर में घूमेंगे और एक भी पैसे का लेन-देन नकद में नहीं करेंगे।’’ 


प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल लेन-देन अब दिल्ली या बड़े महानगरों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका प्रसार सुदूर के गांवों तक हो चुका है।


गाजियाबाद की आनंदिता त्रिपाठी का अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जिन जगहों पर कुछ साल पहले तक इंटरनेट की अच्छी सुविधा भी नहीं थी वहां भी यूपीआई से लेन-देन की सुविधा उपलब्ध है। अब तो छोटे-छोटे शहरों में और ज्यादातर गांवों में भी लोग यूपीआई से ही लेन-देन कर रहे हैं।’’ 


उन्होंने कहा, ‘‘सागरिका, प्रेक्षा और आनंदिता के अनुभवों को देखते हुए मैं आपसे भी आग्रह करूंगा कि कैशलेस डे आउट का अनुभव करें और इसे साझा करें।’’ 


प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय देश में करीब 20,000 करोड़ रुपये का डिजिटल लेन-देन हर दिन हो रहा है।


उन्होंने कहा, ‘‘पिछले मार्च के महीने में तो यूपीआई लेन-देन करीब 10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इससे देश में सुविधा भी बढ़ रही है और ईमानदारी का माहौल भी बन रहा है।’’ 


उन्होंने कहा कि अब तो देश में फिन-टेक से जुड़े कई नये स्टार्ट-अप भी आगे बढ़ रहे हैं।


उन्होंने देशवासियों से डिजिटल लेन-देन और स्टार्ट-अप की इस ताकत से जुड़े अनुभवों को साझा करने का अनुरोध किया ताकि वह दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकें।


मोदी ने हाल में किये गये प्रधानमंत्री संग्रहालय के लोकार्पण का उल्लेख किया और कहा कि इतिहास को लेकर लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ रही है और प्रधानमंत्री संग्रहालय युवाओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन रहा है।


उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय देश की अनमोल विरासत से युवाओं को जोड़ रहा है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर मनाया जा रहा अमृत महोत्सव अब एक एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है और इस कारण युवाओं में देश के इतिहास को जानने को लेकर दिलचस्पी बढ़ रही है।


उन्होंने देशवासियों, खासकर युवाओं में देश के इतिहास के प्रति जिज्ञासा बढ़ाने के लिए सामान्य ज्ञान से संबंधित कुछ रोचक सवाल भी किए और उनसे इसका नमो ऐप या सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर जवाब मांगा।


उन्होंने कहा, ‘‘ये प्रश्न मैंने इसलिए पूछे ताकि हमारी नई पीढ़ी में जिज्ञासा बढ़े, वे इनके बारे में और पढ़ें तथा इन्हें देखने जाएं।’’ 


प्रधानमंत्री ने उदाहरण के तौर पर प्रधानमंत्री संग्रहालय का उल्लेख किया और इसके बारे में गुरुग्राम के रहने वाले सार्थक नाम के युवा के अनुभवों को साझा किया और देशवासियों को बताया कि जब उन्होंने इस संग्रहालय का अवलोकन किया तो कई सारी नयी जानकारियां मिलीं।


मोदी ने कहा कि देश के इतिहास और देश के प्रधानमंत्रियों के योगदान को याद करने के लिए आज़ादी के अमृत महोत्सव से अच्छा समय और क्या हो सकता है।


उन्होंने कहा, ‘‘देश के लिए यह गौरव की बात है कि आज़ादी का अमृत महोत्सव एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है| इतिहास को लेकर लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ रही है और ऐसे में प्रधानमंत्री संग्रहालय युवाओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन रहा है, जो देश के अनमोल विरासत से उन्हें जोड़ रहा है।’’ 


उन्होंने कहा कि देश में मौजूद संग्रहालयों के महत्व की वजह से अब लोग आगे आ रहे हैं इसके लिए दान भी कर रहे हैं।


उन्होंने कहा, ‘‘बहुत से लोग अपनी पुरानी और ऐतिहासिक चीज़ों को भी संग्रहालयों में दान कर रहे हैं। लोग जब ऐसा करते हैं तो एक तरह से वह एक सांस्कृतिक पूंजी को पूरे समाज के साथ साझा करते हैं। भारत में भी लोग अब इसके लिए आगे आ रहे हैं।’’ 


ऐसे सभी प्रयासों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज बदलते हुए समय के हिसाब से संग्रहालयों में नए तौर-तरीके अपनाने पर जोर दिया जा रहा है और उनके डिजिटलीकरण पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।


प्रधानमंत्री ने 18 मई को पूरी दुनिया में मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करते हुए युवा वर्ग का आह्वान किया कि वे आने वाली छुट्टियों में अपने दोस्तों की मंडली के साथ किसी न किसी स्थानीय संग्रहालय को जरूर देखने जाएं।


उन्होंने युवाओं से इसके अनुभव भी साझा करने को कहा ताकि इससे दूसरों के मन में भी संग्रहालयों के लेकर एक जिज्ञासा पैदा हो और वे भी उनके बारे में जानने और समझने के लिए योजना बनाएं।


प्रधानमंत्री ने पिछले महीने ‘‘परीक्षा पर चर्चा’’ के दौरान छात्रों में गणित के विषय के डर को लेकर जताई गई चिंताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि यह ऐसा विषय है, जिसे लेकर हम भारतीयों को सबसे ज्यादा सहज होना चाहिए।


उन्होंने कहा, ‘‘गणित को लेकर पूरी दुनिया के लिए सबसे ज्यादा शोध और योगदान भारत के लोगों ने ही तो दिया है। शून्य यानी जीरो की खोज और उसके महत्व के बारे में आपने खूब सुना भी होगा। इसकी खोज न होती, तो शायद हम दुनिया की इतनी वैज्ञानिक प्रगति भी न देख पाते। कैलकुलस से लेकर कम्प्यूटर्स तक सारे वैज्ञानिक आविष्कार शून्य पर ही तो आधारित हैं।’’ 


मोदी ने वैदिक गणित सिखाने वाले कोलकाता के गौरव टेकरीवाल के अनुभव साझा करते हुए कहा कि वैदिक गणित से बड़ी-बड़ी वैज्ञानिक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।


उन्होंने अनुरोध किया कि सभी माता-पिता अपने बच्चों को वैदिक गणित जरुर सिखाएं।


उन्होंने कहा कि इससे, उनका विश्वास बढ़ेगा, साथ ही तार्किक क्षमता भी बढ़ेगी।

Saturday 23 April 2022

सीमा पार आतंक को चेतावनी

 यदि आतंकवादी देश को बाहर से निशाना बनाते हैं तो भारत सीमा पार करने से नहीं हिचकिचाएगा: राजनाथ

       रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि भारत सीमा पार से देश को निशाना बनाने वाले आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं हिचकिचाएगा।


रक्षा मंत्री एक कार्यक्रम में बोल रहे थे जिसमें 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में शामिल रहे असम के सैनिकों को सम्मानित किया गया। सिंह ने कहा कि सरकार देश से आतंकवाद को उखाड़ फेंकने के लिए काम कर रही है।


उन्होंने कहा, "भारत यह संदेश देने में सफल रहा है कि आतंकवाद से सख्ती से निपटा जाएगा। अगर देश को बाहर से निशाना बनाया जाता है तो हम सीमा पार करने से नहीं हिचकिचाएंगे।" 


सिंह ने यह भी कहा कि पश्चिमी सीमा की तुलना में देश की पूर्वी सीमा पर वर्तमान में अधिक शांति और स्थिरता है क्योंकि बांग्लादेश एक मित्र पड़ोसी है।


उन्होंने कहा, "पश्चिमी सीमा की तरह भारत पूर्वी सीमा पर तनाव का सामना नहीं कर रहा क्योंकि बांग्लादेश एक मित्र देश है।" 


मंत्री ने कहा, "घुसपैठ की समस्या लगभग समाप्त हो गई है। सीमा पर (पूर्वी सीमा) अब शांति और स्थिरता है।" 


पूर्वोत्तर के विभिन्न हिस्सों से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (आफ़स्पा) को हाल ही में वापस लिए जाने पर रक्षा मंत्री ने कहा कि जब भी किसी स्थान की स्थिति में सुधार हुआ, सरकार ने ऐसा किया।


यह उल्लेख करते हुए कि यह एक गलतफहमी थी कि सेना हमेशा ‘आफ़स्पा’ को लागू रखना चाहती है, सिंह ने कहा, "यह स्थिति है जो आफ़स्पा लगाए जाने के लिए जिम्मेदार है, सेना नहीं।’’

सरकार और मीडिया

 'सरकार ने यूक्रेन संघर्ष, जहांगीरपुरी हिंसा की कवरेज पर टीवी चैनलों को सख्त हिदायत दी-

        सरकार ने यूक्रेन-रूस संघर्ष और जहांगीरपुरी हिंसा की टेलीविजन कवरेज पर शनिवार को आपत्ति जताते हुए समाचार चैनलों को सख्त परामर्श जारी किया, जिसमें उनसे संबद्ध कानूनों द्वारा निर्धारित कार्यक्रम संहिता का पालन करने के लिए कहा गया है।


सरकार ने यूक्रेन-रूस संघर्ष की रिपोर्टिंग करने के दौरान समाचार प्रस्तोताओं (न्यूज एंकर्स) के ‘‘अतिशयोक्तिपूर्ण’’ बयानों और ‘‘सनसनीखेज सुर्खियां/टैगलाइन’’ प्रसारित करने तथा ‘‘अपुष्ट सीसीटीवी फुटेज’’ प्रसारित कर उत्तर-पश्चिम दिल्ली में हुई ‘‘घटनाओं’’ की जांच प्रक्रिया बाधित करने की कुछ घटनाओं का हवाला दिया है। 


सरकार ने यह भी कहा कि उत्तर-पश्चिम दिल्ली में हुई घटनाओं पर टेलीविजन चैनलों पर कुछ परिचर्चा ‘असंसदीय, उकसावे वाली और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य भाषा में थीं। 


गौरतलब है कि पिछले सप्ताह उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती के अवसर पर एक शोभायात्रा निकाले जाने के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प हुई थी।


सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी परामर्श में कहा गया है, ‘‘उपरोक्त के संबंध में सरकार टेलीविजन चैनलों के अपनी सामग्री का प्रसारण करने के तरीकों पर गंभीर चिंता प्रकट करती है।’’ 


परामर्श में कहा गया है कि टेलीविजन चैनलों को केबल टेलीविजन नेटवर्क्स (नियमन) कानून 1995 की धाराओं और इसके तहत आने वाले नियमों का उल्लंघन करने वाली किसी भी सामग्री के प्रसारण को तत्काल रोकने की सख्त हिदायत दी जाती है।


कार्यक्रम संहिता की धारा छह के तहत कहा गया है कि ‘‘केबल सेवा में ऐसा कोई कार्यक्रम प्रसारित नहीं होना चाहिए जो शालीनता के खिलाफ हो, मैत्रीपूर्ण देशों की आलोचना करता हो, धर्मों या समुदायों पर हमला करता या जिसमें धार्मिक समूहों का तिरस्कार करने वाले दृश्य या शब्द हो या जो साम्प्रदायिक विद्वेष बढ़ाता हो, आपत्तिजनक, अपमानजनक, जानबूझकर, झूठी और आधी सच्चाई वाला हो।’’ 


परामर्श में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष पर रिपोर्टिंग के दौरान यह देखा गया कि चैनल झूठे दावे कर रहे हैं और बार-बार अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों या लोगों का गलत तरीके से उद्धरण दे रहे हैं और ‘‘सनसनीखेज हेडलाइन या टैगलाइन’’ का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनका खबरों से कोई संबंध नहीं है।


इसमें कहा गया है कि इन चैनलों के कई पत्रकारों और समाचार प्रस्तोताओं ने दर्शकों को भड़काने के इरादे से ‘‘गढ़े हुए और अतिशयोक्तिपूर्ण’’ बयान दिए।


परामर्श में ‘परमाणु पुतिन से परेशान जेलेंस्की’, ‘परमाणु एक्शन की चिंता से जेलेंस्की को डिप्रेशन’ जैसे हेडलाइन या टैगलाइन और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का ‘‘गलत उद्धरण देते हुए अपुष्ट दावे’’ करने जैसे कि तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया है, के इस्तेमाल का भी हवाला दिया।


इसमें कहा गया है, ‘‘एक चैनल ने गढ़ी हुई तस्वीरें प्रसारित कर दावा किया कि यह यूक्रेन पर होने वाले परमाणु हमले का सबूत है। यह पूरी तरह से अनुमान पर आधारित खबर दर्शकों को भ्रमित करने और उनके भीतर मनोवैज्ञानिक उथल-पुथल पैदा करने वाली प्रतीत होती है।’’ 


दिल्ली दंगों पर मंत्रालय ने एक समाचार चैनल पर तलवार लहराते हुए एक खास समुदाय के शख्स की वीडियो क्लिप बार-बार प्रसारित करने पर आपत्ति जतायी तथा एक अन्य समाचार चैनल के दावे पर भी एतराज जताया कि धार्मिक जुलूस को निशाना बनाकर की गयी हिंसा पूर्व-नियोजित थी।


मंत्रालय ने निजी टीवी चैनलों को ऐसी परिचर्चाओं का प्रसारण करने को लेकर भी आगाह किया है जो असंसदीय, उकसावे वाली होती है तथा जिसमें सामाजिक रूप से अस्वीकार्य भाषा, साम्प्रदायिक टिप्पणियां तथा अपमानजनक संदर्भ होते हैं, जिसका दर्शकों पर नकारात्मक मनोवैज्ञानिक असर पड़ सकता है और जो साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ सकते हैं तथा शांति भंग कर सकते हैं।

जम्मू-कश्मीर में विकास की पहल

 -जम्मू कश्मीर के दौरे पर प्रधानमंत्री 20 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगे:-

        प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को जम्मू कश्मीर में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश के दोनों क्षेत्रों के बीच हर बारहमासी संपर्क स्थापित करने के लिए बनिहाल-काजीगुंड सड़क सुरंग का उद्घाटन भी शामिल है।


प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा कि मोदी राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस समारोह में भाग लेने और देश भर की 'ग्राम सभाओं' को संबोधित करने के लिए वहां जा रहे हैं। वह सांबा जिले की पल्ली पंचायत का भी दौरा करेंगे।


पीएमओ के मुताबिक, देश के हर जिले में 75 जलाशयों के विकास और पुनर्जीवन के प्रयास के तहत प्रधानमंत्री 'अमृत सरोवर' नाम से एक नयी पहल शुरू करेंगे। बयान में कहा गया है कि मोदी शाम को मुंबई में मास्टर दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार समारोह में शामिल होंगे, जहां उन्हें पहला लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार मिलेगा।


प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह उल्लेख किया है कि यह पुरस्कार लता मंगेशकर की स्मृति में शुरू किया गया है और राष्ट्र निर्माण में अनुकरणीय योगदान देने के लिए हर साल एक व्यक्ति को दिया जाएगा।


मोदी के जम्मू कश्मीर के दौरे पर बयान में पीएमओ ने कहा कि सरकार ‘‘संवैधानिक सुधारों’’ के बाद अभूतपूर्व गति से शासन में सुधार और क्षेत्र के लोगों के लिए जीवन की सुगमता बढ़ाने के लिए व्यापक सुधार करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। 


पीएमओ द्वारा ‘‘संवैधानिक सुधारों’’ का उल्लेख करना अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने की ओर परोक्ष इशारा है। 


पीएमओ ने बयान में कहा कि प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया जा रहा है या जिनकी आधारशिला रखी जाएगी, वे बुनियादी सुविधाओं को सुविधाजनक बनाने, आवाजाही में सुगमता और क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास को सुनिश्चित करने का काम करेंगे। 


मोदी 3,100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनी बनिहाल-काजीगुंड सड़क सुरंग का उद्घाटन करेंगे। 8.45 किलोमीटर लंबी सुरंग बनिहाल और काजीगुंड के बीच सड़क की दूरी को 16 किलोमीटर कम कर देगी और यात्रा के समय को लगभग डेढ़ घंटे कम कर देगी।


पीएमओ ने कहा कि यह एक जुड़वां ट्यूब सुरंग है जो दोनों ओर के यातायात के लिए है तथा रखरखाव एवं आपातकालीन निकासी के लिए प्रत्येक 500 मीटर पर दोनों ओर की सुरंग आपस में जोड़ी हुई हैं। पीएमओ ने कहा कि सुरंग जम्मू कश्मीर के बीच हर मौसम में संपर्क स्थापित करने और दोनों क्षेत्रों को करीब लाने में मदद करेगी।


मोदी दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेस-वे के तीन रोड पैकेज का भी शिलान्यास करेंगे, जिस पर करीब 7,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी। 


अन्य परियोजनाओं के अलावा, मोदी रतले और क्वार जलविद्युत परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे। रतले जलविद्युत परियोजना किश्तवाड़ में चिनाब नदी पर लगभग 5,300 करोड़ रुपये की लागत से 850 मेगावाट उत्पादन वाली इकाई है। साथ ही वह 540 मेगावाट की क्वार जलविद्युत परियोजना की आधारशिला भी रखेंगे जो 4,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से उसी नदी पर निर्मित होगी। 


जम्मू-कश्मीर में 'जन औषधि केंद्रों' के नेटवर्क का और विस्तार करने और कम कीमतों पर अच्छी गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 100 केंद्रों का उद्घाटन किया जाएगा। ये केंद्र केंद्र शासित प्रदेश के सुदूर कोनों में स्थित हैं।


पीएमओ ने कहा कि मोदी पल्ली में 500 किलोवाट के सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन भी करेंगे, जो इसे कार्बन न्यूट्रल बनने वाली देश की पहली पंचायत बना देगा।


मोदी अपने दौरे के दौरान, 'स्वामित्व' (गांवों का सर्वेक्षण और गांव के क्षेत्रों में तात्कालिक तकनीक के साथ मानचित्रण) कार्ड योजना के तहत लाभार्थियों को सौंपेंगे। कार्ड ग्रामीणों को उनकी संपत्तियों के स्वामित्व का दस्तावेजी प्रमाणपत्र देंगे ताकि वे आवश्यकता पड़ने पर वित्तीय लाभ के लिए उनका उपयोग कर सकें।


मोदी पंचायतों को पुरस्कार राशि भी अंतरित करेंगे जो विभिन्न श्रेणियों में दिए गए पुरस्कारों के विजेता हैं।


पीएमओ ने कहा कि 'अमृत सरोवर' परियोजना 'आजादी का अमृत महोत्सव' का हिस्सा है।

Thursday 21 April 2022

हेमंत सोरेन और उनकी विधायिकी

            - हेमन्त सरकार को फांसने की कोशिश-

                इन दिनों झारखंड में मुख्य मंत्री हेमन्त सोरेन की सरकार को लेकर विरोधी पक्ष विशेष सक्रिय है और इसके लिए भाजपा ने संविधान द्वारा प्रदत्त आम विनियमों के तहत सीधे सरकार के नेतृत्व कर रहे हेमन्त की विधायिकी पर ही प्रश्न खङा कर दिया है , जिसे लेकर राज्य के राजनीतिक गलियारों में खास चर्चा है ।

                इस हवा को बल मिला है, भाजपा द्वारा राज्यपाल रमेश बैस को सौंपा गया, वह ज्ञापन, जिसमें बताया गया है कि, हेमंत सोरेन ने विधानसभा चुनाव में अपने बारे में सही जानकारी निर्वाचन आयोग अर्थात निर्वाची पदाधिकारी को नहीं दिए हैं, मतलब यह कि, वह 'दोहरे लाभ ' के पद पर हैं, इसलिए उनकी विधायिकी समाप्त किया जाना चाहिए ।

        काफी कुछ, इन्हीं तर्कों को लेकर विपक्ष ने झारखंड उच्च न्यायालय में उनकी विधानसभा की सदस्यता को लेकर चुनौती दी गई है ।इसके अलावा, केन्द्रीय चुनाव आयोग से हेमन्त सोरेन की विधायिकी को रद्द करने की मांग की है ।

           यह तकनीकी मुद्दा तब भाजपा को समझ में आया, जब उसने राजनीतिक स्तर पर झामुमो-गठबंधन सरकार को तोड़ पाने में अपने को कमजोर पाया, क्योंकि राज्य में जिस परिस्थिति में मौजूदा सरकार अस्तित्व में आई, उसमें इन दोनों को साथ आने स्वाभाविक स्थितियां थी, क्योंकि 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस तालमेल के साथ संयुक्त रूप से चुनाव लङे थे ।

      इसलिए निकट भविष्य में सरकार को अस्थिर करने के अवसर विपक्ष को नहीं मिल रहा था ।ऐसे में उसने सीधे हेमन्त सोरेन की विधायिकी पर ही सवाल खङा करने की चाल चली है, जिसमें उसने दावा किया कि , हेमंत सोरेन ने अपने शपथ पत्र में अपने धंधे के बाबत कोई जिक्र नहीं किया है, जबकि वह खनन जैसे कार्यों में संलिप्त रहे हैं, इतना ही नहीं, वह अपने विधायक भाई वसंत सोरेन के साथ खनन कंपनी के साझेदार हैं और खुद की सरकार में कानून को ठेंगा दिखाते हुए अपनी कंपनी के अनुज्ञप्ति को सारे प्रक्रिया को धत्ता बताते उसे नवीकरण किया गया है ।

          बहरहाल, सवाल यह है कि, क्या सचमुच मुख्यमंत्री दोहरे लाभ के पद पर हैं?

           इस सवाल के मूल में क्या है? इसे समझने के लिए कानूनी प्रावधान/प्रक्रिया से इतर बातों को जानना जरुरी है ।प्रायः हर नागरिक अपने जीविकोपार्जन के लिए कोई न कोई धंधा करता है, यह जिन्दगी के अहम एवं स्वाभाविक प्रक्रिया है, फिर ऐसे में हेमन्त सोरेन अछूते कैसे रह सकते हैं!

       यदि दोहरी भूमिका की इतनी ही चिन्ता कानून पालन करने वाले तत्वों को है तो, उसके दायरे में केन्द्र सहित राज्यों के प्रायः हर विधायक- सांसद आएंगे, जो किसी न किसी रूप में आजीविका के तहत रोटी-रोजी के नाम पर विभिन्न तरीकों से कामों में संलिप्त हैं, तब यह केवल हेमन्त का अकेला मुद्दा नहीं रह जाता है ।

       दरअसल, भाजपा विधानसभा में आंकड़ों के हिसाब से झामुमोनीत  सरकार को ठोस चुनौती दे पाने में अपने को सक्षम नहीं पा रही है और इसलिए उसे कानून की तकनीकी आधारों पर घेरने के प्रयास में है । वर्तमान में जो राजनीतिक परिदृश्य देश में और झारखंड में है, उसमें कांग्रेस और झामुमो एक-दूसरे के पूरक हैं, कांग्रेस को सत्ता चाहिए और झामुमो को खुद का नेतृत्व, जो हेमन्त सोरेन स्थिरता से देते आ रहे हैं ।

            दोहरी सदस्यता का सवाल राजनीतिक मकसद से उत्पन्न है और इसकी क्या परिणति होगी, यह भी साफ़ नहीं है, क्योंकि आज हरेक वैधिक उपक्रमों की विश्वसनीयता संदिग्ध है, हर बात-विवाद के मूल में सियासत है, आरोप-प्रत्यारोप की पृष्ठभूमि में निर्वाचन आयोग, अदालत  सहित जांच एजेंसियों को लपेटे में लिया जाना सियासत के मैदान में आम बात है, तब किस पर तटस्थता एवं निरपेक्षता के लिए भरोसा किया जाए? इसी परिप्रेक्ष्य में अभी राज्य के सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्रों में आम मानसिकता है ।

      गौर करें कि, उच्च न्यायालय दोहरी सदस्यता की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को देती है और यह एजेंसी केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अन्तर्गत है और इसके नेतृत्व दलगत राजनीति के तहत चुने गए अर्थात सत्ता में आई भाजपा के हाथों में है, तब शक-शुबहा तो पैदा होगी ही, इसी तरह निर्वाचन आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त समेत अन्य चुनाव आयुक्तों की मनोदशा के अध्ययन करें तो काफी चौंकाने वाली बात सामने आएगी ।हाल ही में संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम को लेकर कैसे-कैसे संशय पैदा किए गये, उसे यहां बताने की जरूरत नहीं है ।

       कुल मिलाकर देखना है कि, राज्यपाल रमेश बैस की भूमिका विपक्ष द्वारा उठाए गए दोहरे सदस्यता पर कैसी होती है ।क्या वह केन्द्र सरकार के एजेंट की भूमिका में रहेंगे? जैसा कि, भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के अध्येताओं का एक बङा समूह आजादी के बाद से ही राज्यपाल को चित्रित करते रहा है या स्वयं के स्वविवेक का भी इस्तेमाल करेंगे, फिलहाल के झारखंड में यही यक्ष सवाल सत्ता पक्ष के गलियारे में गुंज रहा है ।

         

        

चार धाम यात्रा

         - उत्तराखंड में सघन सत्यापन अभियान शुरू -

     चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले उत्तराखंड में पुलिस ने प्रदेश में बाहर से आए लोगों के सत्यापन के लिए बृहस्पतिवार से सघन अभियान शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर अगले 10 दिनों के दौरान पुलिस उत्तराखंड में पिछले 10 सालों में बाहर से आए लोगों से जुड़ी जानकारी का सत्यापन करेगी।


इस संबंध में प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि बाहर से आने वाले लोगों का सत्यापन पहले भी किया जाता रहा है और कभी-कभी इसके लिए अभियान भी चलाया जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘सत्यापन पहले भी होता रहा है। बाहरी तत्व जैसे कि ठेली वाले, मजदूर, नौकरी करने वाले और व्यापारी, जो यहां रहता है, उनके सत्यापन किये जाते हैं।’’ 


हालांकि, उन्होंने कहा कि इस बार यह सत्यापन 10 दिनों के लिए विशेष अभियान चलाकर किया जा रहा है जिससे चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले यह पूरा हो जाए। माना जा रहा है कि हरिद्वार जिले के डाडा जलालपुर गांव में हनुमान जयंती पर निकाली गयी शोभायात्रा पर पथराव के मददेनजर अगले माह शुरू हो रही चारधाम यात्रा के निर्विघ्न संचालन के लिए यह सत्यापन अभियान चलाया जा रहा है।


इससे पहले मंगलवार को मुख्यमंत्री ने कहा था कि चारधाम यात्रा के दौरान राज्य सरकार एक अभियान चलाकर यह सुनिश्चित करेगी कि बाहर से आने वाले तीर्थयात्रियों का उचित सत्यापन हो और खतरा पैदा करने की संभावना वाले तत्व राज्य में प्रवेश न कर सकें।


धामी ने कहा कि राज्य में शांति रहनी चाहिए तथा धर्म और संस्कृति बची रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार अपने स्तर से भी इस पर एक अभियान चलाएगी और हम कोशिश करेंगे कि बाहर से आने वाले लोगों का ठीक प्रकार से सत्यापन हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे लोग यहां न आ पाएं जिनके कारण राज्य में वातावरण खराब हो।


उत्तराखंड को एक शांतिप्रिय राज्य के साथ ही धर्म और संस्कृति का केंद्र बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां उपद्रवियों,अतिक्रमणकारियों और धार्मिक उन्माद फैलाने वालों के लिए कोई स्थान नहीं है।


उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के अक्षय तृतीया के पर्व पर तीन मई को कपाट खुलने के साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा शुरू हो जाएगी। 


पिछले दो सालों से कोविड प्रतिबंधों के कारण लगभग बंद पड़ी चारधाम यात्रा में इस साल रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है ।

साबरमती आश्रम:जाॅनसन

 'जॉनसन साबरमती आश्रम का दौरा करने वाले पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री बने-

          भारत के अपने दो दिवसीय दौरे पर आए ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने बृहस्पतिवार को महात्मा गांधी को 'असाधारण व्यक्ति' बताया, जिन्होंने दुनिया को बेहतर बनाने के लिए सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर बल दिया। 


जॉनसन साबरमती आश्रम का दौरा करने वाले ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री बने। साबरमती आश्रम से महात्मा गांधी ने एक दशक से अधिक समय तक ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के आंदोलन का नेतृत्व किया था। 


जॉनसन ने गांधी आश्रम में आगंतुक-पुस्तिका में लिखा, 'इस असाधारण व्यक्ति के आश्रम में आना और यह समझना कि उन्होंने दुनिया को बेहतर बनाने के लिए किस प्रकार सत्य और अहिंसा के सरल सिद्धांतों पर बल दिया, यह बहुत बड़ा सौभाग्य है।' 


ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी की प्रशंसा की लेकिन स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटेन के शासक वर्ग से गांधी के लिए ऐसी प्रशंसा दुर्लभ थी। 


अपनी यात्रा के दौरान, जॉनसन ‘हृदय कुंज’ गए जहां महात्मा गांधी रहते थे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने चरखे पर सूत कातने की भी कोशिश की। उन्हें चरखे की प्रतिकृति भी भेंट की गई।


साबरमती आश्रम संरक्षण और स्मारक न्यास की ओर से जॉनसन को दो किताबें भेंट की गई हैं। इसमें एक ‘‘गाइड टू लंदन’’ है जो अप्रकाशित है और इसमें लंदन में कैसे रहा जाए, इसको लेकर महात्मा गांधी के सुझाव हैं। दूसरी किताब मीराबेन की आत्मकथा ‘‘ द स्प्रिट्स पिल्ग्रिम्ज’’ है। 


जॉनसन का शुक्रवार को नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का कार्यक्रम है। 

- ब्रिटिश प्रधानमंत्री जॉनसन ने उद्योगपति गौतम अडाणी से मुलाकात की-

     ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने बृहस्पतिवार को यहां उद्योगपति गौतम अडाणी के साथ बैठक की। वह दो दिन की यात्रा पर भारत आए हैं।


यह बैठक अहमदाबाद शहर के बाहरी इलाके शांतिग्राम में अडाणी समूह के वैश्विक मुख्यालय में हुई।


अडाणी ने बाद में ट्वीट किया, ‘‘अडाणी मुख्यालय में गुजरात दौरे पर आए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन की मेजबानी करने का सम्मान मिला। अक्षय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और नई ऊर्जा के साथ जलवायु और स्थिरता एजेंडा का समर्थन करने की प्रसन्नता है। रक्षा और एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों में सह-निर्माण के लिए ब्रिटेन की कंपनियों के साथ भी काम करेंगे।’’


सूत्रों ने कहा कि दोनों ने अन्य बातों के अलावा, ऊर्जा बदलाव, जलवायु कार्रवाई, एयरोस्पेस और रक्षा सहयोग जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की।


उन्होंने कहा कि अडाणी और जॉनसन ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर खासतौर से चर्चा की। भारत ने अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए 2030 तक 300 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बनाई है।


अडाणी ने शेवनिंग स्कॉलरशिप के जरिये युवा भारतीयों के लिए एक अकादमिक सुविधा कार्यक्रम की भी घोषणा की, जो ब्रिटेन सरकार द्वारा दी जाने वाली सबसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय छात्रवृत्ति में से एक है।


उन्होंने 28 जून को लंदन में होने वाले भारत-ब्रिटेन जलवायु विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन में भी ब्रिटिश प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया।


अडाणी समूह के चेयरमैन ने पिछले साल अक्टूबर में लंदन में वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन में भी जॉनसन से मुलाकात की थी।