Friday 22 July 2011

अभिव्यक्ति पर जिलाधीश की टेढ़ी नज़र

                                                   अभिव्यक्ति पर जिलाधीश के टेढ़ी नज़र
                                                                       एसके सहाय
झारखण्ड में एक जिलाधीश की बक्र दृष्टि एक सांध्य  दैनिक पत्र पर पड़ गई है ,वह भी एक तस्वीर को को लेकर ,जिसमे आपति जनक ऐसी कुछ भी बात नहीं है ,जिसे लेकर हाय-तौबा मचाया जा सके ,फिर भी अपनी अकड़ को दिखलाने के लिए उस उपायुक्त ने जो नोटिस अख़बार के हाथों में थमाया  है ,जिससे गंभीर सवाल पैदा होते हैं ,जो किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है |
                                             यह धौंस पलामू जिले के उपायुक्त पूजा सिघंल ने समाचार वर्षा पर जमाया है, जिसने अख़बार को दिए नोटिस में पूछा है कि "किसके अनुमति से उनसे सबंधित छाया चित्र मुख्य मंत्री अर्जुन मुंडा  के साथ छापा गया है |" बस इतनी से हल्की बात जिला प्रशासन को नागवार गुजरी है ,जो आजकल यहाँ जन चर्चा का विषय बन गया है |
                                                   जिला प्रशासन  के  यह कारण पृच्छा नोटिस से जाहिर है कि अब पत्रकार क्या छापें  और क्या नहीं ,इस विषय पर अब प्रशासन की अनुमति  लेनी होगी ,जो अभिव्यक्ति  की  खुल्लम -खल्ला चुनौती देने जैसी  हैं ,जिसकी जमकर आलोचना हो रही है ,लेकिन उपायुक्त की जिद है कि वह अपनी " शक्ति " का इजहार करने से बाज़ नहीं आ रही |
                                                 दरअसल अखबार ने उपायुक्त के एक साल पलामू में कार्य काल पूरे करने के अवसर पर उनकी उपलब्धियों का बखान अपने पत्र में की थी ,इसी क्रम में उसने अपने मुख्य मन्त्री के साथ पूजा सिंघल कि तस्वीर को प्रकाशित किया था ,जिसमें अर्जुन मुंडा हाथ जोड़ें खडें है और बगल में वह खड़ी है |यह सामान्य फोटो था ,जो १९ जुलाई को प्रकाशित हुए थे |इसमें आपति जनक कोई भी बात नहीं थी लेकिन जो नागवार करने वाली बात थी ,उसपर जिला प्रशासन के मुखिया ने ध्यान ही नहीं दिया ,जिससे अब वह बात भी चर्चा में आई है ,जिसकी कल्पना  भी पूजा  सिंघल नहीं कर सकती थी |यह सब अनजाने में हुई या जान बुझकर   ,इस पर फ़िलहाल कुछ भी कह पाना मुश्किल है |मामला अब काफी संगीन हो चूका है | इस मामले में अख़बार प्रबंधन अब कानून की शरण लेने के प्रयास में है |
                                            लेकिन इतना तय हो गया कि देश में कोई भी व्यक्ति अभिव्यक्ति के नाम पर अपनी बात सार्वजानिक क्षेत्रों में आसीन व्यक्तियों के बारे में प्रदर्शित करने की हिमाकत कि ,तब उसे पूजा सिंघल जैसे उपायुक्तों से पंगा लेने को अपने को तैयार करना होगा |
                                      यहाँ  यह भी बताना  जरूरी है  कि फोटो के साथ जो बात ऊपर लिखी है ,उसपर उपायुक्त को कोई आपति नहीं है ,आपति सिर्फ तस्वीर पर है ,जब कि कैप्सन में लिखा हुआ है - मुख्य मंत्री अर्जुन मुंडा  के वरद हस्त प्राप्त उपायुक्त पूजा सिंघल |  इतना ही नहीं ,इस उपायुक्त को महिमा मंडन करने के अतिरेक में अख़बार ने यहाँ तक लिख डाला ,जिसमे उल्लेख है -  पूजा सिंघल ने पलामू में कम करते हुए "अपने जीवन " में भी खास उपलब्धि हासिल किये है ,जो जिले की खास धरोहर के तौर पर याद किया जाता रहेगा | मगर इस बिंदु पर कोई विशेष नज़र जिला प्रशासन की नहीं है |
                                          वैसे, यहाँ आपको यहाँ बता दें कि पूजा सिंघल अपने कई कारनामों से हमेशा चर्चा में रही हैं | मसलन -चतरा जिले में उपायुक्त रहते इनका बेहोश हो जाना ,खूंटी में जिलाधिकारी रहते ग्रामीण विकास की करोड़ों रुपये के घोटाले होना और अब पलामू में रहते ----
                                    यहाँ आपको यह भी  स्मरण करा दूँ कि करीब एक पखवारे पहले पलामू में ट्रेन यात्रा के साथ मुसाफिरों से मुखातिब होकर जन समस्याओ से रूबरू होना इनकी लोकप्रियता को चार चाँद लग जाने की बात हो रही  थी लेकिन एक सामान्य सी फोटो पर नाक -भौंह  सिकोड़ लेना समझ से परे की बात  है | आखिर किस तरह प्रकशित तस्वीर आपति जनक है ,वह ही सही -सही बता सकती है |इधर कई माहों  से उनका नियमित मासिक प्रेस कांफ्रेंस भी नहीं हुआ है ,जिससे कि असलियत उजागर हो सके और उनके दृष्कों को समझा जा सके | इनके अख़बार को नोटिस थमाने से यह तो जाहिर हो गया कि नौकरशाह  की अकड़ अब भी देश की लोकतान्त्रिक व्यवस्था में बनी हुई है ,जिसे जब चाहे ,वह अपनी शक्ति का प्रदर्शन करके अपनी गरूर को आत्मसात कर सके |
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