Thursday 9 August 2012

वन्य जीवन : पलामू की बाघिन को "यार" की तलाश


                      भ्रामक है बाघों की तस्वीर 
                         एसके सहाय
 खबर है कि झारखण्ड  का एकमात्र बाघ परियोजना " पलामू ब्याघ्र रिजर्व " में नर बाघों का अभाव  हो गया है,  जिससे इनकी संख्या में वृद्धि होने के आसार धूमिल होते देख कर वन विभाग ने बाहर से "नर" बाघ को लाए जाने के एक प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है |
रिजर्व सूत्रों के मुताबिक फ़िलहाल अभ्यारणय में पांच - छः ही बाघिन हैं ,जिनकी उम्र आठ - नौ वर्ष की है | गत साल ट्रेपिंग कैमरे में एक बघ की छवि अंकित हुई थी ,मगर इसके बाद अन्य बाघों की तस्वीर कैमरे में कैद नहीं हो सकी ,जिससे बाघों की निश्चित संख्या के बारे में जब - तब विवाद होता रहा है कि पलाऊ रिजर्व में बाघ हैं भी या नहीं ! इस विषय में विगत पांच साल से लगातार भ्रम बना हुआ है |
यह भ्रम इसलिए भी है कि काफी अरसे से बाघों के शावकों को रिजर्व में नहीं देखा गया है | इसके अतिरिक्त देहरादून स्थित " वन्य प्राणी संरक्षण प्राधिकार " द्वारा गणना के वैज्ञानिक प्रविधि से पाए गए साक्ष्यों के आधार पर ही इसके अस्तित्व को मान्यता दिए जाने के नियम बना लिए हैं, इससे पलामू ब्याघ्र रिजर्व में बाघ - बाघिन के दावे के साथ मौजूदगी की सूचना पहले से ही संदिग्ध है |
फिलवक्त ,रिजर्व के अधिकारियों को थोड़ी राहत है कि एक बाघ की तस्वीर पिछले ग्यारह नवम्बर को कैद हो चुकी है , लेकिन इसे अब भी प्रयाप्त आधार माने जाने की स्थिति नहीं है | इससे रिजर्व कर्मियों की चिंता बढ़ गई है | इस चिंता को दूर करने के लिये कान्हा - रणथंभोर ब्याघ्र रिजर्व से नर बाघ को आयात करने पर इन दिनों गहन विचार मंथन का दौर चल रहा है |
पलामू बाघ परियोजना से पलामू ब्याघ्र रिजर्व में तब्दील इस अभ्यारणय में कभी गत सदी के अस्सी के दशक में बासठ तक बाघों के विचरण करने की सार्वजनिक सूचना दी जाती रही है , तब गणना के तरीकों में बाघों के पद -चाप ,मल - मूत्र और शिकार के बाद मिले जानवरों के कंकाल इसके आधार होते थे, लेकिन अब इसमें परिवर्तन करके मल - मूत्र के डीएनए जाँच रिपोर्ट एवं छाया चित्र  ही बाघों की वास्तविक संख्या का आधार  तय है | इससे सही -सही आंकड़े को लेकर इस रिजर्व के बारे में संशय की स्थिति बनी हुई है |
यह रिजर्व १०२६ वर्ग किलोमीटर में विस्तृत है ,जिसमे ४१५ वर्ग किमी का इलाका  कोर क्षेत्र के रूप में अधिसूचित है | वैसे , एक बाघ अपने क्षेत्र में २४ वर्ग किलीमीटर में विचरण करता है ,जहाँ कोई दूसरा बाघ आसानी से प्रवेश नहीं कर पाता ,केवल " प्रजनन " को लेकर ही नर - मादा के बीच मिलन होता है ,फिर शावकों के जन्म लेने के बाद नर बाघ अलग हो जाते हैं , मगर शावक अपनी माँ (मादा) बाघ के साथ जवान होने तक साथ रहते हैं ,फिर इनके कुदरती तौर पर विलगाव होता है | बाघों की औसत आयु १२- १५ वर्ष की होती है | ऐसे में पलामू ब्याघ्र रिजर्व में इनकी मौजूदगी को लेकर " भ्रम" होना स्वाभाविक है |