Thursday, 29 March 2012

यह चेहरा झारखण्ड विधान सभा की


                            एसके सहाय
           वैसे तो ,झारखण्ड विधान सभा अपनी विशिष्ट कार्य शैली के लिए पूरे देश में प्रचलित है,खासकर भ्रष्टाचार के मामले में कैसे आश्वासन देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री मान लेती है ,इसका एक नमूना पिछले दिनों देखने को मिला ,जहाँ दो दिनों के भीतर जाँच रपट सदन में रखने की बात सरकार की तरफ से कहा गया और समय भी गुजर गया ,इसके बावजूद उस जाँच रपट में क्या हुआ ,इसकी खुलासा तक नहीं किये गए |हद तो यह है कि भ्रष्टाचार के सवाल जी विधायक ने एक वरिष्ठ नौकरशाह के विरोध उठाये थे ,उन्होंने भी अपने खुद के मुद्दे से अलग कर लिये और चर्चित मुद्दे पर कहीं -किसी ओर से कोई आवाज तक नहीं उठी |
          यह भ्रष्टाचार भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी से जुड़ा है ,जिसने अपने क्षेत्राधिकार के तहत छ करोड रूपये दो अलग -अलग गैर सरकारी संगठनों को दे दिए ओर फिर काम हुआ या नहीं इस ओर आखें मुंद ली | मामला २००८ की है ,तब चतरा जिले में पूजा सिंघल उपायुक्त के पद पर पद स्थापित थी ,इन्होने अपने कार्यकाल के दरम्यान स्वैच्छिक संस्था वेलफेयर प्वाइंट को चार और प्रेरणा निकेतन को दो करोड रूपये बिना काम के अग्रिम भुगतान कर दी ,जो जांचोपरांत घोटाले के रूप में सामने आया था
          इस घोटाले को ही भाकपा (माले ) के विधायक विनोद सिंह ने चालू विधान सभा के सत्र में उठाया और इसके लिये जिम्मेदार उपायुक्त के खिलाफ दंडात्मक करवाई की मांग की ,जिसके प्रत्युत्तर में उप मुख्य मंत्री सुदेश महतो ने सदन में उस मामले की जाँच दो दिनों के भीतर करने और जांच की जिम्मेदारी विकास आयुक्त देवाशीष गुप्ता को दिए जाने की घोषणा विधान सभा में की | इस आश्वासन के बाद दो दिन से अधिक गुजर गए और इसकी जाँच रिपोर्ट का क्या हुआ ,इस बारे में न महतो ने और न ही सिंह ने सदन के भीतर कुछ कहा और न बाहर ही | स्पष्ट है कि चर्चा में बने रहने की कोशिश ने झारखण्ड की काफी भद पिटने में योगदान दिया है |पक्ष -विपक्ष का चरित्र सिर्फ दिखावे का है | परस्पर  लाभ में दोनों के चरित्र एक से हैं |ऐसे में राज्य की क्या गति हो सकती है ,सहज ही कल्पना की जा सकती है |
        यह सवाल एक ऐसे भाप्रसे के अधिकारी से जुड़ा है ,जो अपने पद स्थापना के साथ ही भ्रष्टाचार को लेकर हमेशा विवाद में आती रही है | यह महिला अधिकारी सिंघल जहाँ -जहाँ भी रही भ्रष्ट आचरण के लिये बराबर चर्चित रही | फ़िलहाल यह पलामू जिले में उपायुक्त है ,इसके पुर खूंटी में भी जिलाधिकारी रही है ,जहाँ के इनके कारगुजारियों की मोटी संचिका तैयार है लेकिन इनके खिलाफ करवाई करने में अबतक सरकार जाने क्यों हिचकते रही है ,जबकि खूंटी में बरती गई अनियमितता के सिलसिले में तीन अभियंता कारगर की सैर कर चुके है मगर इनके विरूद्ध अबतक कोई कदम नहीं उठाये गए हैं यही हाल चतरा
और पलामू जिले के संदर्भ में है ,जहाँ इनके खिलाफ कई नए गबन .घोटाले और अनियमितता के मामले प्रकट एवं चर्चित हैं .मगर कोई पहल इनके विरूद्ध नहीं हो सकी है और न ही साफ -साफ सरकार भी इनके लिये बात भी की है |सभी मामले में टालू अंदाज ही रहा है ,जो इंगित करता है कि सिंघल का सरकार पर पूरा प्रभाव है |
        विधायिका में जब जान सरोकारों का यह हाल है ,तब राज्य के अन्य विषयों _क्रियाविधियों की क्या दशा हो सकती है ,यह सोचनीय है | फ़िलहाल तो ऐसा ही चेहरा विधान सभा की है , जहाँ विषय की गंभीरता का को मोल नहीं है ,लोग जैसे - तैसे जीवन शैली के अभ्यस्त हो गए हैं ,जिसके लिये "धन " ही किसी काम की चीज हो गई है | इसी हालात में लुट-खसोट का सार्वजनिक स्थितियां अभी इस प्रान्त में दृष्टिगत है |
 

1 comment:

  1. sahay g mai aapki bat se sahmat hoon. Sudesh mahto ne do din me karwai ki bat kahi thi. Lekin gramin vikas ke budget me charcha karte hue maine phir jwab manga, to unhone inkar kahte hue kaha ki maine do dino me janch ki bat kahi thi. Abhi position ye hai ki commisnor hazaribagh ko janch diya gaya hai. Mai wait kar raha hoon. Waise mai aapke jankari ke liye bata doon, khunti me manrega me gadbadi ki thi, mere sawal pe janch to hui, par sarkar karwai nahi kar rahi hai. Par mere liye ye sawal pending nahi hai. Vinod

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