Saturday, 24 March 2012

बलात्कारी आईपीएस बर्खास्त


                           (एसके सहाय)
                 आश्चर्यजनक मगर हकीकत में आज झारखण्ड में भारतीय पुलिस सेवा के एक पतित अधिकारी को नौकरी से बर्खस्त कर दिया गया | आश्चर्य इसलिए कि राज्य में जैसी अराजक प्रशासनिक एवं राजनीतिक स्थितियां हैं , उसमें  अनाचार में अंतर्लिप्त पाए जाने वाले वरिष्ठ पुलिस पदाधिकारी को सेवा मुक्त नहीं करके सीधे बर्खस्त होना विस्मय पैदा करता है | बर्खास्त होने वाले अधिकारी आरक्षी महानिरीक्षक स्टार के हैं ,जिनका नाम पीएस नटराजन के रूप में चर्हित है |
                इस पुलिस अधिकारी कि सेवा से बर्खास्तगी सात सालों बाद हुई है |यह २००५ से दो दिन को छोड़कर लगातार मुअतल रहे ,फिर भी क़ानूनी नुक्ताचीनी  एवं तकनीकी चूक कि वजह से दो दिन के लिए बहाल भी हुए ,लेकिन पुन: सरकार ने इनको निलंबित कर दिया , जिसमें  झारखण्ड उच्च न्यायालय का यह सन्देश था कि वह चाहे तो इनको पद स्थापित कर फिर से दंडात्मक कदम उठा सकती है और इस बात को लेकर नटराजन को सरकार ने न्यायालय के ही निर्देश पर निलंबन मुक्त किये थे ,जिसका राजनीतिक ,सामाजिक और प्रशासनिक हलकों में काफी शोर हुए थे |इनकी निलंबन की वापसी प्रशासकीय - न्यायाधिकरण के फैसले के तहत हुई थी ,जहाँ सरकार ने ठीक एवं उचित तरीके से कारगर बातें नहीं रखी थी ,जिसका फायदा इस अधिकारी ने आनन् -फानन में मुअतल अवधि के अपने सभी वेतनादि की राशि को प्राप्त कर लिए जो प्राय: हासिल करने में कोई कामयाब नहीं हो पाते हैं |
              यों तो, पीएस नटराजन के बर्खास्तगी का मामला प्रांतीय राजधानी रांची से जुड़ा है  लेकिन इसकी पृष्ठभूमि डालटनगंज थी ,जहाँ वह पलामू परिक्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक के तौर पर करीब पौन साल से अधिक समय तक पदस्थापित रहे, इसलिए इस कांड की कहानी काफी दिलचस्प है |
             नटराजन को जिस घटित कांड के सिलसिले में पुलिसवा से हटाया गया है ,उसका संबंध सुषमा बदाईक नाम की एक आदिवासी युवती से है ,जो डाल्टनगंज में ही इनके संपर्क में आ गई थी ,लेकिन रिश्ता कायम हुआ नटराजन के स्थान्तरण के बाद ,जहाँ रांची में इनकी पद स्थापना हुई और एक बार फिर दोनों एक -दूसरे के संपर्क में आये |
              इस पूर्व संपर्कों का परिवर्तन इनके अन्तरंग तस्वीरों को लेकर हुआ,जिसमें एक समाचार चैनल की खास भूमिका रही | चैनल ने विस्तार से इनके  "हमबिस्तर " के घुमती तस्वीरों का खुला प्रदर्शन कर दिया | इस अप्रत्याशित घटित मामले से नौकरशाही के क्षेत्रों में भूचाल आ गई | चौक  -चौराहों पर बहसों -चर्चों का लंबा सिलसिला राज्य से बाहर पुरे देश में चल पड़ा ,जिसमें मूवी कैमरे ने सच्चाई काफी स्पष्ट तरीके से यह अहसास -जतलाया कि कैसे भापुसे के अधिकारी "सदाचार " से भटक कर अनैतिक काम -कलाओं में शामिल है |
             इस अचानक हुई कांड से नटराजन को तुरत निलंबित करने तथा कुछेक दिनों की जाँच के बाद इनके विरूद्ध आपराधिक प्राथमिकी रांची पुलिस में दर्ज हुई | इसके बाद पुलिस - नटराजन के बीच लुका - छिपी का खेल भी सामने आये ,इनके घर की कुर्की जब्ती हुई और काफी अरसे बाद यह पुलिस अधिकारी अंतत न्यायालय में अपने को आत्म समर्पित किया ,जहाँ से तक़रीबन दो साल तक इनको जेल की हवा कहानी पड़ी इस दौरान और जमानत पर बाहर आने के बाद हर उस बचाव का अवलंबन किये ,जो एक खुले समाज में हर शख्स को प्राप्त है
           इन सात सालों में इस पुलिस अधिकारी ने क्या - क्या पापड़ बेले और सरकार का क्या रूख इस मामले में रहा ,वह भी कम मजेदार नहीं है बल्कि इस पुलिस अफसर को खुली छूट भी मिली रही | फरारी के अवधि में इसे पकड़ा नहीं जाना भी ,सरकार और पुलिस महकमे के लिए लज्जाजनक रहा |

            अब जब , पी एस नटराजन , राष्टपति प्रतिभा सिंह पाटिल के आदेश से भारतीय आरक्षी सेवा से बर्खास्त है और इसकी पुष्टि गृह सचिव ज्योति भ्रमर तुबिद ने कर दी है ,तब इसे लेकर पुलिस कर्मियों के बीच दुराचारी अफसर सहम से गए हैं |
          इस विषय में "आपसी रिश्ते " को लेकर बहस काफी तेज है | ऐसा इसलिए कि नटराजन-सुषमा के मध्य जो भी कुछ हुआ ,वह आपसी सहमति का मामला था ,जिसमें रजामंदी पहली बात थी | हालाँकि इसमें सुषमा ने छल की, मगर इस व्यभिचार को फिल्मांकन में मूवी कैमरे का इस्तेमाल पीडिता ने ही खोजी पत्रकारों के लिए की थी | फिर भी , एक पुलिस कर्मी या सरकारी कर्मचारी ,अन्य के लिए सार्वजनिक पदों पर  बने रहने का संवैधानिक अधिकार नहीं है | देश के संविधान में स्पष्ट है कि अखिल भारतीय प्रशासकीय ,पुलिस और अन्य सेवा के अधिकारी केवल  "सदाचार " पर्यंत तक ही अपने पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार रखेंगे ,इससे अलग नहीं, दुराचार -अनाचार में अंतर्लिप्त रहने पर इनकी सेवा से बर्खास्त किये जाने का अधिकार सरकार अर्थात कार्यपालिका को है ,जिसका पहला बेजोड़ उदाहरण नटराजन के रूप में  सामने आया है |
           यदि इस मामले में "सहमति " थी भी ,तब भी ,यह पुलिस अधिकारी ,पद पर बने रहने का नीति एवं क़ानूनी हक खो चूका था ,जिसका अराजक माहौल में स्वागत किया जाना चाहिए | वैसे , इस बर्खास्तगी के बाद झारखण्ड में नौकरशाहों के बीच हडकंप व्याप्त है और इस भय की वजह व्यभिचार ही है ,जिसमें कई संलिप्त हैं ,जो फिलवक्त पकड़ से बाहर हैं लेकिन इनके बीच बर्खास्तगी का सन्देश सावधान तो कर ही दिया है |   

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