स्थल सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने खुद खुलासा किया है कि उन्हें चौदह करोड रुपये के घुस उसके मातहत एक अधिकारी लेफ्तितेंत जनरल तेजेन्द्र सिंह ने देने की पहल किया था ,जिसे उन्होंने ठुकरा दिया और तत्काल इसकी सुचना रक्षा मंत्री एके एंटोनी को दी | यह वाक्याँ डेढ़ वर्ष पूर्व की है , जिसका परदाफाश इन दिनों एक समाचार जगत में हुआ है और इसे लेकर सेना और राजनीतिक क्षेत्रों में बवाल मचा हुआ है |
यह खबर देश के साथ पुरे विश्व में फैलने के बाद अब एन्तोनो ने इसकी जाँच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो से करने की सिफारिश गृह मंत्रालय से की है मगर बात इतने से ही सलाटने वाला नहीं है बल्कि इससे आगे तक इसके असर होने वाले हैं और इसका दिग्दर्शन हो भी रहा है |
इस सन्दर्भ में राजनीतिक दृष्टिकोण को देखें तो और भी स्तब्धकारी स्थितियां देश के समक्ष है ,जिसे स्पष्ट है कि हर बात पर राजनीती करने की चाहत ने देश का बेडा गर्क करने में योगदान दे रही है और राजनीती है कि जल्द समाधान के स्थान पर बस बयानबाजी को असहाय होकर देखने को मजबूर है |
भाजपा कहती है कि डेढ़ साल बाद इसके खुलासे होने से इसमें व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार होने की आशंका है ,जिसमे सरकार भी शामिल है और कांग्रेस कहती है कि सेनाध्यक्ष ने उसकी रिपोर्ट क्यों नहीं पुलिस में दर्ज करवाई ?
है न काफी सोचनीय वाली बात ,इन दोनों राजनीतिक पार्टियों का मतलब इसके समाधान पर कम बल्कि एक -दूसरे को " नीचा " दोखने पर ज्यादा है |ऐसे में कैसे भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकता है | अव्वल तो हर बात की एफआईआर दर्ज नहीं करवाई जा सकती ,और प्राथमिकी दर्ज करवानी है तो इसमें सेना और सरकार की संयुक्त जवाबदेही बनती है लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ और डेढ़ साला का लंबा अंतराल खीच गया ,ऐसे में एक साथ सारी जवाबदेही केंद्र सरकार की बनती है ,क्योंकि रक्षा मंत्री के संज्ञान में जब बात अ गई थी ,तब पहल भी उनके द्वारा ही की जनि चाहिए थी लेकिन यह पहल नहीं हुआ ,इसका मतलब क्या है ? फिलवक्त यही मौजू सवाल हवा में तैर रहा है |
वैसे देखा जाय तो सेना में यह पहला घोटाले की खबर नहीं है बल्कि आजादी मिलने के साथ ही इसके साजो -सामान की खरीद में घोटाले हुए है ,जिसके छीटें देश के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू के दमन पर पड़ें है लेकिन समय के साथ सभी मामले बिसरा दिए गए या रद्दी के टोकरी में फेंक दिए गया ,जिसे अब तब भी घोटाले की बात सामने आती रही है |
वह बी ही मामला जीप घोटाले से जुड़ा था और आज भी जो घोटाले सामने हैं ,वह भी जीप घोटाले से सबंधित है |ऐसे में इसे अप किस रोप में लेते हैं .यह आप पर निर्भर करता है |
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