बिहार में केन्द्रीय विश्वविदद्यालय खोला जाना है और इसके लिए संघ सरकार ने अनुमति भी दे दी है लेकिन इसके खोले जाने के मार्ग में रोड़ा यह है कि खोला कहाँ जाए |
इस विषय पर केंद्र और राज्य के अपने -अपने दलील हैं ,साथ में राजनीती भी ,इसलिए इसके खोले जाने में अनावश्यक देरी हो रही है ,जो घटिया राजनीती का द्द्योतक है |
राजनीतिक वाक युद्द इस मुद्दे पर है कि इसे मोतिहारी में स्थापित किया जाए या फिर गया में ,इसी को लेकर केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिबल और मुख्य मंत्री नीतीश कुमार आपस में भीड़ गए है ,जो बेहूदा और घटिया राजनीती के नमूने हैं |
इस मामले में दोनों अपने -अपने जिद पर अड़े हैं ,जिसका कोई अर्थ शैक्षणिक जगत में नहीं है ,सो इसका निदान जल्द हो जाय ,यही उम्मीद करना चाहिए |
शिक्षा का विषय संवैधानिक रूप से समवर्ती सूचि में दर्ज है अर्थात केंद्र एवं राज्य के विषय संयुक्त रूप से है और इसी कि आड़ लेकर दोनों राजनीतिज्ञ आपस में सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी पर उतर आयें हैं ,जो बिहार के लिए नुकसान ही करेगा |
और अंत में एक सलाह - नीतीश और सिब्बल में से कोई एक अपनी जिद से हट जाएँ ,तो ज्यादा जनहितकारी होगा और झुकने से कोई सम्मान नहीं घट जायेंगे ,यह दोनों को समझने की जरूरत है |वैसे भी प्रबुद्ध नागरिक भलीभांति यह जानते है कि दोनों में में कौन घटिया किस्म का राजनीतिज्ञ है |
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