भारतीय संस्कृति के चेहरे देखिये-- प्राचीन काल में "अर्थचोर" को समाज बहिष्कृत कर देता था अर्थात भ्रष्ट तत्वों को "हेय" दृष्टि से देखता था ,लेकिन अब अर्थात मौजूदा दौर में ,जो जितना भी बड़ा 'आर्थिकीय चोर हो ,समाज के नजरों में उसकी पूछ अर्थात सम्मान की नजरों से देखे जाने की प्रवृति विकास कर गई प्रतीत है !
झारखण्ड/राजकर्मचारियों में काम प्रति अभिरूचि नहीं हो ,तब कितने भी आदेश/निर्देश सरकार जारी करे, डांट -फटकार हो ,'कार्य संस्कृति' में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होने वाला है ! मुख्य मंत्री रघुबर दास बार-बार चिन्हित कर-कर के कई छोटे-बड़े अफसरों को अमुक-अमुक कार्य करने और नहीं करने की बात सार्वजनिक तौर पर पिछले साल भर से करते रहे हैं , इसका कोई प्रभाव पड़ा ! जिलाधीश क्षेत्र में जाएँ.यह तकिया कलाम अक्सर सुनने को मिलता है ,क्या क्षेत्र भ्रमण भर से समस्याएं हल हो जाएगी और अगर अफसर घूमते रहेंगे ,तब काम कौन करेगा ? " मूल संकट पहचान" का अभाव मौजूदा सरकार में साफ-साफ दिखता है !
झारखण्ड/बिहार में राजकर्मचारियों के विरूद्ध चलने वाला विभागीय कार्यवाही की मियाद आठ माह तय है अर्थात इस अवधि के भीतर सेवा मुक्त/युक्त अथवा बर्खास्तगी निश्चित है और झारखण्ड में ! यहाँ तो भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के प्रमुख मुरारीलाल मीणा के नेतृत्व में लगातार भ्रष्ट(घूसखोर) कर्मचारी गिरफ्त में आये हैं ,फिर इनकी नौकरी को लंबे समय तक बरक़रार रखने का क्या औचित्य ? है न दिलचस्प विषय --
नरेंद्र मोदी के प्रधान मंत्रित्व में दो क्षेत्रों में सर्वाधिक तेजी से विकास करने पर जोर है - प्रतिरक्षा और विनिर्माण !इसके क्या महत्व हैं ?
पाकिस्तान में सक्रिय और अमरीका द्वारा एक करोड़ का घोषित आतंकी एवं जमात-उद -दावा प्रमुख हाफिज सईद ने फिर आज गुलाम कश्मीर में एक रैली के दौरान धमकी दी है कि वह पठानकोट जैसे दर्द भारत को देते रहेंगे ! अब देश को किस बात का इंतजार है ? सीधे ड्रोन/मिसाइल दाग कर किस्सा ही ख़त्म क्यों नहीं कर देती केंद्र सरकार -
बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर पीठ के न्यायमूर्ति अरूण चौधरी ने भ्रष्टाचार के एक मामले की सुनवाई करते हुए टिप्पणी की है कि "लोग अपना हक़ प्राप्त करने के लिए टैक्स अदा करना बंद करें " सचमुच यह जो कर अदायगी है न दोस्तों ,सारी लोकतान्त्रिक प्रक्रियाओं के बुराइयों की जड़ है । मैंने पहले भी कई दफा ध्यान आकृष्ट किया है कि टैक्स सुविधा/सेवा के लिए है , न कि अय्यासी(भ्रष्टाचार) के लिए !
झारखण्ड/ मुख्य मंत्री रघुबर दास ने एक भ्रष्ट अभियंता यादवेन्द्र सिंह को भ्रष्ट कारनामों को लेकर बर्खास्त कर स्वागत योग्य पहल की है ,लेकिन कम से कम यह भी देखने की जरूरत है कि उनके कार्यकाल में जो रंगे हाथ घूस लेते राजकर्मचारी पकड़ में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा आये हैं ,उन सभी को तेज़ी से बर्खास्त करें और जेल में दण्डित करें ।अब देर बहुत हो चुकी है ,उलटी गिनती शुरू होने के आसार हैं !
झारखण्ड/ क्या आपको नहीं लगता कि मुख्य मंत्री रघुबर दास 'किलकिश" व्यक्तित्व के स्वामी हैं ? याद कीजिये , मुख्य मंत्री पद पर विराजमान होने के साथ ही अपने निचले कतार के नेताओं लिए "चिरकुट" शब्द का संबोधन उनके मुख से निकला था ,जिसपर काफी बवाल हुए थे । दास कैसे भूल गए कि दलगत व्यवस्था में "कार्यकर्त्ता" किसी पार्टी के "प्राणवायु" होते हैं ! नौकरशाही अर्थात राजकर्मचारी कैसे काम कर रहे हैं ,इसकी धरातल से कौन गैर अधिकृत तौर पर सरकार को अवगत करायेगा ?
समुन्द्र में धाक / चार से आठ फ़रवरी तक हिन्द महासागर में भारतीय नौ सेना के नेतृत्व में अमरीका,रूस,चीन ,जापान समेत ५२ देशों की नौसेनाओं के संग युद्धाभ्यास का अर्थ है ,भविष्य की सामरिक तैयारियों के साथ मित्र/दुश्मन को पहचानना , कभी खैबर दर्रे अर्थात पश्चिमी सीमांत से देश के भीतर घुसपैठ होने से भारत ७०० सालों तक आक्रांत रहा और बाद में समुंद्री रास्ते से आये घुसपैठिये अर्थात अँगरेज़,डच, पुर्तगाली,और फ्रेंच तत्वों से २०० वर्षों तक पददलित रहा ।
अमरीका में राष्टपति के चुनाव होना है और पक्ष/विपक्ष अभी से मुस्लिम-मुस्लिम ,इस्लाम -इस्लाम के नाप का जाप अपनी सुविधानुसार करने लगे हैं ,जिसका प्रभाव तीसरी दुनिया के देशों के लिए खतरनाक हो सकता है ! क्या ओबामा,क्या ट्रम और क्या हिलेरी सभी अब हर बहसों-मुबाहिसों में हर दिन एक न एक बार मुस्लिम आतंकी की चर्चा अपने हिसाब से करते हैं,तब स्वाभाविक है कि इसके दुष्परिणाम प्रकट हो !
भारत जैसे देश में मोदी सरकार को समझना चाहिए कि विकास की शुरूआत नीचे से शुरू होती है ,न कि ऊपर से अर्थात पैसेंजर ट्रेन को एक्सप्रेस में बदला जा सकता है ,लेकिन बुलेट ट्रेन को फिर कैसे नीचे लाया जा सकता है ! हम आज भी गांवों के देश में है ,जहाँ आबादी के तीन चौथाई हिस्से को पीने के शुद्ध जल मयस्सर नहीं हैं ,फिर मुठी भर लोगों के लिए पैसे का खेल क्यों ?
झारखण्ड/ क्या राज्य के मुख्य मंत्री रघुबर दास बाहरी तत्व हैं ? जैसा कि कुत्सित मानसिकता के शिकार राजनीतिक तत्वों ने झारखंडी समाज में हवा छोड़ कर अपनी जमीन तैयार करने की कवायद शुरू की है ? यदि दास ,बाहरी हैं ,तब सभी गैर आदिवासी लोग भी बाहरी हैं ! यदि संकुचित अर्थ में बाहरी तत्वों की शिनाख्त हो ,तो सबसे बड़े दिकू अर्थात बाहरी शिबू सोरेन और उनका पारिवारिक कुनबा है, जो रामगढ़ जिले के गोला क्षेत्र के मूल व्यक्ति हैं ,जो संथाल में वहां के संथालियों को बेवकूफ बनाकर राजनीती में अबतक जिन्दा बने हुए हैं !तो क्या जमशेद जी(टाटा) का भी पारसी कुनबा बाहरी हैं ?
झारखण्ड/ रघुबर दास , मुख्य मंत्री बनने के बाद तीन माह में "अधिवास"नीति घोषित किये जाने की बात की थी ,लेकिन उसे घोषित कर पाने में कामयाब नहीं हुए ,तो कौन सा प्रतिपक्ष ,झाविमो को छोड़कर लिखित सुझाव देने की हिमाकत की !राजद,कांग्रेस और झामुमो ने अबतक स्थानीय नीति कैसी हो ,पर लिखित सुझाव नहीं दी है ,इसपर आनाकानी क्यों ? सच तो यह है कि स्थानीय नीति के प्रश्न पर गैर भाजपाइयों के दिमाग में कीड़ा राजनितिक लाभ के लिए कुलबुलाता रहता है !
परसों मध्य रात की बात है ,मै डालटनगंज रेलवे स्टेशन अपने बेटा को रिसीव करने वहां पंहुचा था ,ट्रेन को आने में देर थी ,सो स्टेशन पर लगे नई कुर्सियों के बीच एक पर बैठ कर उसके आने की प्रतीक्षा करने लगा , वहां पहले से भी कई मुसाफिर बैठे थे ,तभी दो अनजान से सज्जन खाली पड़े कुर्सी में आकर विराजमान हो गए । कुछेक क्षण के बीच एक सज्जन ने बातचीत के मूड में कहा कि 'आज ठण्ड'ज्यादा है ,देखिये न कनकनी लग रही है ,यह कहते हुए उसने कुर्सी के मुययना करते हुए कहा कि लगता है ,यह नई है , यह सुनकर मेरे मुंह से अनायास जानकारी देने वाले अंदाज में निकला कि यह स्थानीय सांसद बीड़ी राम के सौजन्य से है ,दो -तीन दिन पहले ही लगा है -यह सुनना था कि उनके मुंह से अचानक निकला , और क्या करेंगे ? सांसद निधि से प्राप्त राशि को खर्च करना है न , हलकी कामों में नेता लोग अपने को तीसमार समझते हैं , उन्होंने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि ठोस कामों में सांसदों /विधायकों को दिलचस्पी होती नहीं ,कमीशन कहाँ से मिले ,इसकी जुगत में भिड़े रहते हैं ,एक अरूण शौरी भी सांसद थे ,जिन्होंने अपने पुरे पांचों साल के सांसद मद की राशि कानपूर आईआईटी को दे दिए ,तो एक बेहतर काम हुआ ,जीर्ण-शीर्ण भवन में जान आ गई , यह सीट तो रेलवे भी अपने खर्च से लगा सकता था । सोचता हूँ , शहर में एक जिला स्कुल है , जो अपनी गौरव गाथा के लिए प्रसिद्ध है और आज इसकी स्थिति काफी दयनीय है ,इसपर किसी सांसद /विधायक की नजर क्यों नहीं जाती ?
दाऊद गिलानी अर्थात डेविड कौलमेन हेडली ने पूरी तफ्सील से भारतीय अदालत को पाक आतंकियों द्वारा किये गए मुंबई हमले के बारे में जानकारी दे दी है ,तो क्या अब भारत कूटनीतक और सैन्य तरीके से अपनी शर्तों पर दुश्मनों के साथ इंसाफ के लिए जरूरी व्यवहार करेगा ?
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