प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने वाशिंगटन में 'संयुक्त राष्ट संघ को आतंक के प्रश्न पर अप्रसांगिक होने के खतरे ओर इशारा करके भविष्य की भारतीय कूटनीतिक कदमो के संकेत कर दिए हैं !' अब दुनिया अपने -अपने हितों के अनुरूप अभी से मित्र चुन ले ,तो बेहतर होगा ।
झारखण्ड/ राज्य में पहले लोहरदगा विधान सभा के उप चुनाव ने सत्ताधारी समूह को झटके दिए और अब पून ; गोड्डा/पांकी में उसकी पुनरावृति होने के आसार हैं , ऐसा सामाजिक समीकरण की स्थिति बताती है !
झारखण्ड/ मुख्य मंत्री रघुबर दास के लिए आसन्न गोड्डा /पांकी विधान सभा के उप चुनाव 'क्या वाटर लू ' सिद्ध होने जा रहे हैं ?
झारखण्ड-- पांकी/गोड्डा की सामाजिक स्थिति राजद और भाजपा के माफिक है ,जिसमे पांकी में 'शख्सियत' एक जबरदस्त कोण है ,जिसे झामुमो पकड़ कर दोनों खेल बिगाड़ सकती है अर्थात एक तरफ संप्रग तो दूसरी तरफ राजग के बीच कल्पना के विपरीत परिणाम की
संभावना भी उत्पन्न है !
क्या आपको नहीं प्रतीत होता कि " भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था (indian democratic system) मुर्ख बनाने वाली व्यवस्था में तब्दील हो गई है ? "
कला के क्षेत्र में "व्यभिचार" काफी है अर्थात कला का दूसरा स्वरूप व्यभिचार पूर्ण रिश्ते से है !
भारतीय बैंकों में भारतीय नागरिको द्वारा टैक्स चोरी अर्थात काला धन विदेशी बैंकों में जमा करने वाले देश द्रोही हैं ,यह जानते हुए कि हमारा देश 'विकसित नहीं बल्कि विकास उन्मुखी' है ,जबकि जमा पूंजी की दरकार सतत रूप से भारत को है ।
अमिताभ बच्चन ,ऐश्वर्या रॉय जैसे भारतीय नागरिक सार्वजनिक रूप से अर्थात सरकारों द्वारा "नायकत्व" के तौर पर प्रेरित किये जाने वाले शख्सियत रहे हैं ,फिर पनामा पेपर्स में विदेशी बैंकों में इनके धन पाए जाने से यह मालूम होता है कि अधिसंख्य सेलीब्रेटीज अर्थात चर्चित हस्तियों के अपने -अपने गोरख धंधे रहे हैं ,फिर लोग प्रेरणा लें तो किससे ?
सेठ लोगों का अर्थात पूंजीपतियों के विदेशों में धन जमा है , यह बात तो समझ में आती है ,जो कारोबारी हैं ,मगर जो गोल-गोल बात करने वाले राजनीतिज्ञ/क्रियाविद हैं ,खासकर जिनके व्यक्तित्व फक्कडनुमा दिखती रही है ,उनके पास अकूत दौलत जमा रहने का क्या मतलब ?
अगर नरेंद्र मोदी विदेशी धन के उजागर होने के बाद इसके चपेट में आये तत्वों के खिलाफ त्वरित कदम नहीं उठाते ,तब तय मानिये इनके व्यक्तित्व में शनै -शनै क्षरण होना शुरू हो जायेगा !
खबर है कि बिहार में 'स्काईट्रांन' के जरिये नितीश कुमार राज्य की परिवहन व्यवस्था में गुणात्मक परिवर्तन लाने के प्रति निशचय कर लिया है अर्थात खंभों के जरिये कारनुमा डिब्बे के जरिये चुंबकत्व के बल यह अट्ठारह-बीस फीट की ऊंचाई पर दौड़ेगी ,जिसे 'नासा' के ईजाद तरकीब से पूर्ण किये जाने हैं ,है न बुलेट ट्रेन का जवाब ,जो सस्ता और आसान होने के साथ कम समय में दुरी नापने की कोशिश ,गति २६० किमी प्रति घंटा --
बिहार/ ताड़ी को प्रतिबंध से बाहर कीजिये मुख्य मंत्री नितीश कुमार जी ,कुछ सामाजिक संवेदनशीलता को बूझिये ,अन्यथा --
योगगुरू रामदेव के दिमाग में भूंसा भी है ,यह मैं नहीं जानता था ,मगर जब उन्होंने यह कहा कि ' कानून का ख्याल नहीं होता ,तो भारत माता की जय नहीं बोलने वाले लाखों के सिर कलम कर देता' का अर्थ है कि यह शख्स घोर अराजकतावादी है ,इसे कैद में होना चाहिए !
क्या झारखण्ड के पांकी विधान सभा के आसन्न उप चुनाव में भाजपा आयातित उम्मीदवार के बुते मैदान में कूदने पर विचार कर रही है ?
झारखण्ड / राज्य में सरकारी तंत्र कैसे हैं ? इसे जानिए --पलामू जिले में के श्रीनिवासन के जगह पर कुछेक दिन पहले अमित कुमार जिलाधीश के रूप में पद स्थापित हुए और पद ग्रहण के अगले दिन उन्होंने अचानक पांच प्रखंडों के निरीक्षण करके २७ कर्मचारियों के अनुपस्थित पाए जाने पर उनके एक दिन वेतन काटने के आदेश दे डाले । सवाल है कि गैर हाज़िर रहने वाले सहायकों,लिपिको और अन्य कर्मियों के विरूद्ध प्रखण्डधिकरी (BDO) भी तो उक्त कदम उठा सकते थे ! फिर उपायुक्त ने लापरवाह,अकर्मण्य ,काम में दिलचस्पी नहीं लेने वाले प्रखंडाधिकारियों के ऊपर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की ?
जिन भारतीय नागरिको के विदेशी बैंकों में वैध-अवैध खातों में क़ानूनी -गैर क़ानूनी तरीके से 'धन' जमा है ,क्या उनको देशभक्त माना जा सकता है ? जबकि यह जानते हुए कि देश को फिलवक्त तेजी से विकास करने लिए काफी पैसे की जरूरत है !
टीवी तारिका प्रत्युषा बनर्जी की मौत को एक वाक्य में समझिए कि 'वह चकाचौध की दुनिया में अपनी कामयाबी को संभाल नहीं पाने की वजह से शिकार हो गई ' !
लालकृष्ण आडवाणी की अर्धांगिनी कमला जी नहीं रहीं, यह जानकर मुझे काफी दुःख हुआ ,कभी मैं पंडारा पार्क में उनके पिछवाड़े के बंगले में रहा करता था ,बात १९९०-९४ की है ,अक्सर वह कुतूहलवश मुझे देखते हुए बोलती थी कि दिल्ली में क्या पाते हो , मेरा मजाकिया जवाब होता था ,आपको पाता हूँ न , तब वह कर्कश आवाज में कहती थी ,आओ तुमको मिठाई खिलाती हूँ ,सचमुच में एक अनजान युवा के प्रति उनका स्नेह ऐसे उमड़ता प्रतीत होता ,जैसे में उनके अपना ही पुत्र था ,मेरी विनम्र श्र्द्धांजलि -- विशेष बाद में --
झारखण्ड/ गोड्डा और पांकी विधान सभा में क्रमश; एक में भाजपा डूबती-उगती रही है ,लेकिन दूसरे में आजादी के बाद अबतक एक भी खाता नहीं खोल सकी है , ऐसे में आसन्न उप चुनाव में कैसा रहेगा नतीजा ? यह जानना सत्ताधारी वर्ग के लिए काफी दिलचस्प होगा ।
झारखण्ड/ राज्य सरकार में अब तू -तू, मैं -मैं की शुरूआत हो चुकी है और यह शुरू किया है मुख्य मंत्री रघुबर दास ने ,जिसके प्रत्युत्तर में हाजिर हुए हैं उनके मातहत मंत्री सरयू राय !
कश्मीर में एनआईटी में हुए दो छात्र समूहों के बीच झड़प में स्थानीय पुलिस ने देश समर्थक छात्रों पर लाठियां भांज कर अच्छा संकेत नहीं दिया है ,क्योकि पाक झंडे के साथ अपने को जोड़े छात्र समूह स्थानीय थे ,तब भविष्य क्या होगा ,सोच ले मोदी सरकार --
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ,चीनी राष्टपति शी जिन पिंग के साथ अपने घर में एक ही झूले में गलबहियां कर रहे थे ,तो अमरीकी राष्टपति बराक ओबामा के साथ अपने हाथों से चाय पिलाकर मिजाज पुर्सी में तल्लीन नजर आये थे , अब जबकि चीन ने मंसूर अजहर के सवाल पर संयुक्त राष्ट संघ में भारत को ठेंगा दिखा दिया ,तो अमेरिका ने लड़ाकू विमान/हेलीकाप्टर देकर पाकिस्तानं को सज्जित कर दिया । क्या यह मोदी की कूटनीतिक विफलता नहीं है ?
बिहार/ राज्य में शराब बंदी लेकर कतिपय अर्थवेत्ताओं /राजनीतिज्ञों ने राजस्व की क्षति पर गहरी चिंता प्रकट की ,इसपर मुख्य मंत्री नितीश कुमार का जवाब था- लोक कल्याण से बड़ा राजस्व नहीं हो सकता । यथार्थ में राजकोष आखिर लोकतंत्र में क्या मतलब ? वाह नितीश ,तेरा जवाब नहीं -
इस सदी का सबसे बड़े 'नाटकबाज' का दुनिया में अभ्युदय हो चूका है मित्रों ,सावधान !
क्या नरेंद्र मोदी आएसएस का मोहरा हैं ? नहीं ,जो सोचते हैं कि वह संघ के इशारों पर नाचने वाले कठपुतली मात्र हैं ,तो वे मुगालते में हैं । मोदी ,सिर्फ इतना भर आरएसएस का ख्याल करते हैं कि यह उनके महत्वकांक्षा में सहायक की भूमिका में रहे । इससे अधिक नहीं । मोदी को इतिहास पुरूष/ युग पुरूष होना है ,इंतजार सिर्फ प्रणव मुखर्जी के राष्टपति के पद से निवृत होने भर का है ,फिर देखिये इनकी तूफानी चाल !
साबुन / मैं हफ्ते भर से अपने शहर मेदिनीनगर में 'मोती' साबुन को तलाश रहा हूँ ,लेकिन मुझे लाख खोजने के बाद भी नहीं मिला । वैसे ,मैट्रिक के बाद मैं अफगान ऑटो के खस साबुन सेवन करने का अभ्यस्त हूँ , यह खोज मेरे लाडले की पहल पर थी ,जिसे मालूम था कि दिल्ली प्रवास के दौरान मुझे वहां अफगान खस आसानी से उपलब्ध नहीं होता था ,तब विवशता में मोती के गुलाब इस्तेमाल किया करता था ,सो उसे दिखाने के वास्ते उसे खोज मारा । लगता है मोती प्रचार/विज्ञापन के बाजार की भेंट चढ़ गया !
झारखण्ड/ राज्य के घोषित अधिवास नीति को लेकर विरोधी मुख्य मंत्री रघुबर दास का क्या बिगाड़ लेंगे ? आखिर खिलाफत करने वाले तत्व अर्थात प्रतिपक्ष/पक्ष के जेहन में क्या है ? है हिम्मत तो उसके बारे में अपने -अपने नजरिये को क्यों नहीं सामने रखते ? चित्त भी मेरी और पट भी मेरी ,ऐसा नहीं होता । दोगली /दोहरी राजनैतिक मंशा से लोगों को ज्यादा दिनों तक गुमराह नहीं किया जा सकता ! इसे विरोधी जितनी जल्द समझ लें ,उनके हित में बेहतर होगा ।
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