कारनामे महिला आई ए एस अधिकारी के
एसके सहाय
रांची /मेदिनीनगर : राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक महिला अधिकारी भ्रष्टाचार के घेरे में है लेकिन इस प्रान्त की सरकार का ही यह रूप है कि जिस आरोप में महिला अधिकारी आरोपित है, उसी आरोप में दो अभियंता जेल में हैं और आरोपित अधिकारी पूजा सिंघल आराम से पलामू के जिलाधिकारी के पद पर विराजमान हैं
इस आई ए एस के विरूद्ध खूंटी के अलावा पलामू जिले में वित्तीय गबन के आरोप लगें हैं इस सिलसिले में बकायादा सोलह प्राथमिकी भी दर्ज है ,जिसमे ग्रामीण विकास और महात्मा गाँधी राष्टीय रोजगार योजना के १८ करोड़ २७ लाख रूपये गबन कर ली गई है . यह मामला तब उजागर हुआ, जब ग्रामीण विकास सचिव संतोष कुमार सत्पथी ने वर्तमान खूंटी के जिलाधिकारी राकेश कुमार शर्मा को
सिंघल के कार्यकाल की जाँच करने के लिए आदेश दिए थे . यह गबन फरवरी २००९ से जून २०१० के बीच हुआ. तब खूंटी के जिलाधिकारी के पद पर सिंघल ही वहां पद स्थापित थी.
खूंटी में हुए गबन के मामले में दो अभियंता राम विनोद सिन्हा और आर के जैन जेल में हैं जब कि यह महिला अधिकारी मजे में उसी पद पर पलामू में कायम है. इस अधिकारी नें काफी चालाकी बरतते हुए खूंटी के ही उप विकास आयुक्त के पीएल खाते से तीन करोड़ रूपये की
निकासी कर ली, कागजो पर ही चेक डैम, राजीव गाँधी सेवा केंद्र, दस ग्राम कचहरी ,तहसील-पंचायत भवन जैसे कामो को पूर्ण दिखला दी और इसके लिए ग्रामीण विकास के विशेष प्रमंडल तथा जिला परिषद् के अभियंताओं के सहयोग से राशि का गबन कर लिया, इस घोटाले की एक बानगी देखिये - जिला परिषद् के एक अभियंता पर सिंघल इतना मेहरबान हुई कि उसे एक ही बार में
दस करोड़ रुपये अग्रिम दे दी ताकि उस राशि का गबन किया जा सके, यह सब विभागीय काम के नाम पर हुआ .
अब खूंटी जिले की हालत यह है कि सरकार एक ही काम के लिए दोबारा राशि आवंटित करने में
नियमतः असहज महसूस कर रही है, जिससे वहां के ग्रामीण विकास के कामो में रूकावट आ गई है
इस जिले को ५४ करोड़ ४७ लाख रूपये विकास मद में आवंटित हुए थे जिसमें ३५० योजनाओं में लुट की गई ऐसा जाँच रिपोर्ट में कहा गया है इस राशि में ३१ करोड़ ३७ लाख रूपये खर्च करने की बात की गई है लेकिन इसमें १८ करोड़ २७ लाख रूपये का कोई काम दृष्टिगत नहीं है ,जिससे सिंघल पहली बार संदेह के घेरे में आ गई है .
इस महिला अधिकारी के काम करने के एक तरीका को जानना काफी दिलचस्प होगा . सिंघल ने आठ माह पूर्व मेदिनीनगर में पत्रकारों को बताया कि "पांकी प्रखंड विकास पदाधिकारी कानू राम नाग ने इंदिरा आवास योजना में सवा दो करोड़ का घोटाला किया है और इसके विरूद्ध दो दिनों के भीतर पुलिस में आपराधिक प्राथमिकी दर्ज करा दी जाएगी ,इस घोटाले कि जाँच पूरी हो गई है" लेकिन इतने दिनों बाद भी नाग के विरूद्ध कोई मुकदमे दर्ज नहीं हुए ,यह क्यों दर्ज नहीं हुए यह भी एक रहस्य है जब कि यह पहले से ही सभी को पत्ता था कि नाग की नियुक्ति को ही सरकार ने रद्द कर दिया है ,तब से यह भागे फिर रहा है फिर प्राथमिकी दर्ज करने में हिचक क्यों ? इतना ही नहीं सिंघल ने बिना निविदा निकाले ६ करोड़ रूपये के आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिय तरह -तरह के सामान ख़रीदे जब कि सरकारी नियमावली में साफ लिखा है कि डेढ़ लाख से अधिक के क्रय के लिए प्रति स्पर्धा तरीके अपनाये जाये, इसके लिए निविदा के विज्ञापित किया जाना जरूरी है
अब पूरा मामला सरकार के समक्ष विचाराधीन है .इसमें खास बात यह है कि एक ही मामले में दो अभियंता जेल में है और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बाहर है, यह दोहरी नीति से जाहिर है सरकार में इच्छा शक्ति का अभाव है ,जो विगत दस सालों से राज्य कि नियति रही है
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