पानी की खोज में गाँव पहुंचे हिरन का शिकार
एसके सहाय
एसके सहाय
मेदिनीनगर : इन दिनों पलामू में पेयजल संकट से सिर्फ सामान्य जन -जीवन ही नहीं , बल्कि वन्य जीव भी काफी प्रभावित हैं . इसकी एक मिसाल पाटन थाना के मुर्मू की है ,जहाँ बुधवार को शिकारियों के एक दल ने एक हिरन को गोली से मार डाला .
मारा गया हिरन पानी की तलाश में पास के जंगल से मुर्मू पहुंचा था .हालाँकि इस मामले में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत पुलिस में मामला दर्ज किया गया है लेकिन इस मामले में कोई ठोस उपाय करने के प्रश्न पर जिला प्रशासन खामोश है
गोलियों का शिकार हुआ हिरन किस वन क्षेत्र से मुर्मू पहुंचा था , इसबारे में भी वन अधिकारियों को ज्ञात नहीं है ,जब कि पाटन और इसे सटा हुआ इलाका जंगलों से भरा -पूरा है जो विश्व विख्यात पलामू बाघ रिजर्व का १०२६ वर्ग किलोमीटर में विस्तृत अभ्यारण्य भी है . इस वन्य प्राणी के शिकार को लेकर आम जन -जीवन में विशेष हलचल या चिंता नहीं है लेकिन पानी का संकट किस कदर पलामू में है इसकी यह ताज़ा मिसाल है .
पलामू वैसे भी पिछले तीन वर्षों से लगातार सूखे की चपेट में है . इस जल संकट को लेकर लगातार सामाजिक -राजनितिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में विचार विमर्श का दौर तथा जन आक्रोश प्रदर्शित होते रहे है लेकिन इसका ठोस धरातल पर कोई विशेष परिणाम नहीं निकला है ,जो कुछ भी पानी को लेकर योजना बनी या क्रियान्वित हुई है वह केवल मनुष्य को ध्यान में रख कर ही प्रदर्शित है ,इसमें वन्य प्राणियों के लिए अलग से कोई प्रबंध नहीं किये गये हैं .
पलामू बाघ रिजर्व के एक अधिकारी ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष के ख़त्म होने में अब मात्र चंद दिन बाक़ी हैं लेकिन योजना क्षेत्र के वन्य जीवन के लिए कोई योजनागत राशी राज्य सरकार ने निर्गत नहीं किए . रिजर्व के कर्मचारी अपने पास मौजूदा संसाधनों के बूते ही जानवरों के लिए टैंकरों से चुआडों में पानी भर रहे है जो कि पर्याप्त नहीं है .पानी लाना भी इनके लिए काफी दुष्कर है .
यहाँ ध्यान देने लायक बात है कि वर्ष १९९४ के २४ अप्रैल को तत्कालीन प्रधान मंत्री प़ी व़ी नरसिह राव को पलामू बाघ रिजर्व क्षेत्र के १४ लगुरों के पानी और भोजन के अभाव में मौत होने से अवगत कराया गया था लेकिन इस पर कोई विशेष बात नहीं हुई ,जब लगुरों के हुए पोस्त्मर्तम में साफ कहा गया था कि इनकी मौत पानी के अभाव में हुई है ,साथ ही पेट में अनाज के कोई दाने भी नहीं थे .
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