मेरा ख्याल है कि देश में १०१९ में नियत समय में लोक सभा के चुनाव नहीं होंगें और अगर हुआ भी तो ,उसमे भाजपा /नरेंद्र मोदी की इच्छा पर होगी , जिसमे उनको विजयश्री मिल जाएगी ! ऐसा मानने की वजह 'वर्तमान में विकासमान हो गई राजनीतिक प्रवृत्तियां हैं ' !
प्रचार की तकनीक अर्थात प्रविधि तभी काम करती है ,जब उसके नायक में खुद के बल जनमानस को समझने अर्थात जिनमे बुद्धि -विवेक होता है ,राजनैतिक क्षेत्र में इसके सुन्दर उदाहरण नरेंद्र मोदी हैं ,लेकिन क्या कांग्रेस नेतृत्व के साथ ऐसा है ? अकेले प्रशांत किशोर उत्तर प्रदेश में कैसे खोई जमीन को कांग्रेस के पास वापस दिला पाएंगे !
कूटनीती / अब ऊंट आया पहाड़ के नीचे ,वाली कहावत चीन के साथ चरितार्थ रही है , इसकी विस्तारवादी नीति से उसके सभी पड़ोसियों के साथ तनाव है और अगर भारत समेत वियतनाम ,ताइवान,ब्रुनेई ,दक्षिण कोरिया,जापान , मलेशिया फिलीपींस वगैरह के युद्धक बमवर्षक एक साथ उसके आसमान में मंडराने लगे तब ,उसकी शक्ति कहाँ अधुनातन रहते टिक पायेगी !
कूटनीति/ अगर एनएसजी में भारत को जगह नहीं मिलेगी ,तब भी तो कोई चिंता नहीं है ,आखिर अमेरिका दिपक्षीय सबंध के आधार पर सब-कुछ देने के लिए तैयार है ,फिर चीन क्या कर लेगा ? उसकी रणनीति तो फेल हो जाएगी । ब्रिटेन ,फ़्रांस ,जर्मनी, आस्ट्रेलिया जैसे देश दिपक्षीय रिश्ते में उसे पहले ही अप्रासंगिक बन चुके हैं !
बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार कल मेदिनीनगर में आएंगे ,कुछ सोचिये इस आगमन के बाद झारखण्ड में कैसी आग भभकेगी !
उत्तर प्रदेश में अब समाजवादी पार्टी के दिन लदने वाले हैं !
चलिए - उत्तर प्रदेश में अगले विधान सभा के चुनाव में मुख्य मुकाबला बसपा और भाजपा के मध्य होने जा रही है !
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और राज्य मंत्री गिरिराज सिंह का परसों मेदिनीनगर में प्रेस कांफ्रेंस था ,स्वाभाविक था कि उसमे मैं भी शामिल था ,अचानक प्रेस से बातचीत करते दोनों यह कहते हुए उठ खड़े हुए कि अन्य कार्यक्रमों में भाग लेना है ,तभी मैंने गिरिराज जी की ओर मुखातिब होकर कहा कि दो मिनट थोड़ा बैठे , मेरे एक प्रश्न हैं ,यह इसलिए भी कि " आप मोदी मंत्री परिषद में दिलचस्प item हैं ", लेकिन उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ते हुए चल दिए कि छोडिए इसे, आपकी पार्टी फंड में दे दिया है । मेरी समझ में अबतक नहीं आ पाया है कि इसके क्या मतलब हैं ? दोनों मंत्री केंद्रीय सरकार के दो वरसों के उपलब्धियां बताने यहाँ आये हुए थे ।
झारखण्ड/ बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार ने आज मेदिनीनगर में एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही ,वह यह कि "लोकतान्त्रिक राज्य की मूल अवधारणा कल्याणकारी है ,इसलिए राजस्व चिंता छोड़कर अपने प्रान्त में शराबबंदी क्रियांविंत किया है ,अगर राज्य में बेहतर उद्योग धंधे-व्यापार के लिए स्थितियां हैं ,तब क्या ?सरकार को उत्पाद से मिलने वाली राजस्व से कई गुने टैक्स मिल जाएंगे " !
कूटनीति / चीन -पाकिस्तान को चाहिए कि भारतीय दर्शन में चाणक्य समेत यथा,रामायण,महाभारत जैसे मनीषा का अध्ययन करे ,अन्यथा नरेंद्र मोदी के हाथों बुरी तरह पिटे जायेंगे । मित्र राज्यों और शत्रु राज्यों से कैसे व्यव्हार किया जाता है ,वैसा विशद ज्ञान दुनिया में किसी शास्त्रों में नहीं है और यह रणनीतिक बातें भारतीय प्रधान मंत्री के जेहन में है ,फिर क्या होगा ,कल्पना कर सकते हैं !
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के २१ विधायकों की सदस्यता ख़त्म हो भी जाती है ,तो क्या होगा ? अरविन्द केजरीवाल की सरकार के सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ,हाँ इतना हो सकता है कि भाजपा/ कांग्रेस के लार टपकने लगेंगे !
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के २१ विधायकों की सदस्यता ख़त्म हो भी जाती है ,तो क्या होगा ? अरविन्द केजरीवाल की सरकार के सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ,हाँ इतना हो सकता है कि भाजपा/ कांग्रेस के लार टपकने लगेंगे !
दो रुपये की रकम खर्च करके राज्य सभा में पहुंचने का दावा करने वाले हरिवंश नारायण सिंह ,क्या बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के 'प्रेस सलाहकार' की भूमिका में हैं ? जैसा कि उन्होंने कल मेदिनीनगर में कुमार के भाषण के बाबत एक न्यूज एजेंसी द्वारा प्रसारित समाचार कथा पर मीन -मेख निकाला है ! सिंह जदयू के सौजन्य से संसद के उच्च सदन की सदस्यता हासिल की है ।
एनएसजी (परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह) में अगर भारत सदस्यता हासिल नहीं कर पाता है ,तब यह विश्व व्यापी संगठन टूट जायेगा ! भारत को परवाह भी नहीं है ,जैसा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की प्रवृति है । इसके बाद ,सुरक्षा और नि;शस्त्रीकरण के सवाल उभरेंगे और इसमें पहले सुरक्षा को प्राथमिकता दिए जाएंगे अथवा निशस्त्रीकरण को , इसपर दुनिया में बहस तेज़ हो जाएगी !
सुना आपने ,पाक सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ ने कल नागरिक सरकार के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ के गैर हाजिरी में केंद्रीय मंत्रियों को अपने दफ्तर बुलाकर "क्लास " ली है !
अब दुनिया को साफ तौर पर लोकतान्त्रिक सत्ता और गैर जनतांत्रिक व्यवस्था में बंट कर कूटनीतिक रिश्ते स्थापित करने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ाने पर विचार करना चाहिए !
बाजपेयी इरा में सीटीबीटी (व्यापक परमाणु प्रतिषेध संधि) की चर्चा काफी तेज है और अब मोदी काल में एनपीटी पर बहस दुनिया में गर्म है ! कुछ आप समझ रहे हैं मित्रों--
झारखण्ड/ क्या आपको मालूम है कि रघुबर राज में एक स्वायत इकाई अर्थात राज्य बाल संरक्षण आयोग में मनोनीत सदस्य अदालत द्वारा फरार घोषित एवं कुर्की जब्ती के वारंट निर्गत अभियुक्त भी सदस्य हैं ?
यह सदस्य कोई और नहीं ,लोजपा के प्रदेश प्रमुख बब्बन गुप्ता हैं ,जिनपर डालटनगंज रेलवे न्यायालय ने उक्त आदेश जारी किया है । मामला २००२ का है ,यह मामला फिलवक्त लबित है ।
उत्तर प्रदेश में विधान सभा के चुनाव में भाजपा वही कहानी दोहराएगी ,जो उसने झारखण्ड/बिहार में कर चुकी है ! तब ,फिर !
झामुमो के नेता एवं पूर्व मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन ने "योग" को "भोग" कहकर इस आध्यात्मिक प्रक्रिया की खिल्ली उड़ाई है अर्थात तुकबन्दी में इशारा कर दिया है कि 'वह भोग को जानते हैं ,योग को नहीं ,अगर उनके भोगवादी किस्से की चर्चा यहाँ शुरू कर दूँ ,तब !
गत लोक सभा के चुनाव के दौरान अर्थात २०१४ में अरहर दाल ४०/५० रूपये किलोग्राम थी ,मगर परिणाम आने के साथ ही दो माह बाद से अबतक १२०/१४० रूपये किलोग्राम है ,यही कीमत चना में जानिए कि उस वक्त यह २५/३० और अब ७०/७५ रूपये किलोग्राम है । मोदी सरकार को नहीं भूलना चाहिए कि 'भावनात्मक उद्वेग' की एक सीमा होती है और हर भारतीय के लिए आहार की मंहगाई खास महत्त्व की होती है , ऐसे में अपना भविष्य सोच लेना चाहिए केंद्र सरकार अर्थात भाजपा नेतृतव को --
बसपा प्रमुख मायावती पैसे लेकर टिकट बेचती है ,यह इनके लिए नई बात नहीं है ,इसे सभी जानते हैं ,स्वामी प्रसाद मौर्य कोई नई खुलासा नहीं किये हैं ,जिससे चुनावी राजनीती में असर करता हो !
एनएसजी में भारत को सदस्यता नहीं मिलने का मतलब है विश्व राजनय में अमेरिका का अपमान !
युद्ध ,युद्ध युद्ध के लिए हम तैयार हो जाये,चीन ने एनएसजी में भारत के प्रवेश को बाधित कर अच्छा नहीं किया , इस कूटनीतिक पराजय को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत हार के रूप में स्वीकारा है ,इसकी कीमत चीन को चुकाना ही पड़ेगा !
कूटनीति के जानकारों का कहना है कि प्रतिरक्षा के क्षेत्र में सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए भारत के दरवाजा खोले जाने का अर्थ है ,अपने को सामरिक मामले में अपने को परनिर्भरता से छुटकारा प्राप्त करना अर्थात महाशक्ति के रूप में स्थापित होना !
पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा एकदम ठीक कहते हैं कि एनएसजी की सदस्यता का कोई महत्व भारत के लिए नहीं है अर्थात यह जानिए कि 'परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह' एक बाजार है ,जो तकनीक एवं उत्पाद को अपने -अपने रुचि /जरूरत के अनुसार बगैर रोक-टोक के ४८ देशों में संचालित है। फिर इसकी सदस्यता हासिल किये बगैर ही भारत को उम्दा पदार्थ/प्रावैधिकी उपलब्ध है दिपक्षीय समझौते के तहत ,तब इसके लिए हाय-तौबा करने की क्या जरूरत है ?
कूटनीति/ स्विट्जरलैंड ने भारत के साथ एन एस जी के मुद्दे पर जिस तरह पलटी मारी है अर्थात घोषित समर्थन से मुकर जाना,भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आँख खोलने वाली बात है ,फिर भारत भविष्य में कैसे न किसी देश के साथ वैसा ही बर्ताव करे !
केंद्र सरकार अर्थात भाजपा शासन अर्थात नरेंद्र मोदी के हुकूमत के पुरे हुए दो साल की उपलब्धियों को गांव-गांव प्रचार करने के लिए क्या समर्पित कार्यकर्त्ता के अभाव हो गए हैं ? आखिर इसके प्रति रुचि क्यों नहीं दिखती भाजपाइयों में !
पूजा सिंघल, झारखण्ड की चर्चित आईएएस अफसर, कभी पलामू की जिलाधिकारी थी ,सो एक किस्सा याद आ रहा है और यह वाक्या एक प्रेस कांफ्रेंस की है ।
जिला प्रशासन ने उक्त संवाददाता सम्मेलन चुनाव के बाबत बुलाई थी ,जिसके मुख्य विषय छत्तरपुर के दर्जनाधिक मतदान केंद्रों के स्थानांतरण का मामला था,बूथ बदलने को लेकर उन दिनों काफी राजनैतिक क्षेत्रों में वितण्डा /विवाद/हंगामा हो रहे थे ।
उपायुक्त सिंघल ने बूथ स्थांतरित किये जाने की आधिकारिक जानकारी शुरू की और शांत भाव से मौजूद सभी पत्रकारों ने नोट करते रहे । इसपर मुझे रहा नहीं गया ,सो मैंने झट से एक सवाल दागते हुए पूछा कि " मैं यह जानना चाहता हूँ कि क्या मतदान केंद्रों को निर्वाचन एजेंसी मतलब जिला प्रशासन ने सीधे अपनी निर्णय के तहत अन्य जगहों पर शिफ्ट किया है ?"
यह सुनना था कि वह आश्चर्यित होकर रूक गई ,फिर कुछ देर चुप रहने के बाद बोलना शुरू की ,कि " मैं बेवकूफ थोड़े ही हूँ , दस लाख प्रतियोगियों के बीच चयनित होकर आईएएस हुई हूँ , बूथों को स्थान्तरिंत करने के पहले एक कमिटी बनाकर जाँच एवं उसके औचित्य पूर्ण अनुशंसा के बाद ही उसे बदले जाने का फैसला जिला प्रशासन ने किया है ,यह मैं अपने तरफ से कैसे सीधे परिवर्तित कर सकते हैं "
मतलब यह कि जिलाधीश सिंघल एक सांस में अपनी लंबी चौड़ी बात तबतक रखती रही ,जबतक कि मैं खुद उनको बस,बस थैंक्स ,थैंक्स नहीं किया और इस दौरान अन्य साथी पत्रकार एकदम खामोश रहे ,फिर जैसा कि हर प्रेस कांफ्रेंस की तरह होता है ,वही औपचारिकता वगैरह --
;वकील ,वह भी बगैर बैंक एकाउंट के ,है न दिलचस्प बात ,जी हाँ , आपको मिलवाता हूँ नन्दलाल सिंह से, जो कभी पलामू अधिवक्ता संघ के पूर्व में अध्यक्ष रह चुके हैं ,जिनके पास एक भी बैंक खाता नहीं है ,यह खुलासा आज उस वक्त हुआ ,जब डालटनगंज दूरदर्शन द्वारा आयोजित एक परिचर्चा के दौरान दस्तावेजी औपचारिकता पूरी करने के लिए उनसे एकाउंट माँगा गया ,तब वह बोले कि मेरे पास नहीं है !
मौके पर मौजूद इप्टा के कलाकार प्रेम प्रकाश ने यह सुनते ही चुस्की ली कि " लगता है संजय भैया ,नन्दलाल भैय्या ,नरेंद्र मोदी के जन-धन योजना को फेल करके ही दम लेंगे " जोरदार ठहाका के बीच मेरे मुख से निकला - ऐसा मत कहो प्रेम भाई ,भैया के गोदी में ही हम खेल कर बढे हुए हैं , फिर हंसी --इस दरम्यान परिचर्चा में सहभागी दो महिला वक्ता समेत अन्य मुस्कराते रहे --
झारखण्ड/ कहावत सुना है न आपने ,सिर मुड़ाते ओले पड़े, काफी कुछ यह बात नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष ताला मराण्डी पर फिट बैठता है । अल्पव्यस्क बाला से बीटा की शादी के साथ यौन शोषण के आरोप चस्पा होने से जो किरकिरी उनको व्यक्तिगत हुई है ,वाही नुकसान सामाजिक/राजनैतिक हल्कों में भाजपा को हुई है । साथ ही ,यह भी पर्दाफाश हुआ कि नौकरशाही अर्थात मुख्य सचिव /पुलिस महानिदेशक "कानून का राज" स्थापित करने में कंजूस सिद्ध हुए ,वैसे आज वहां के पुलिस अधीक्षक ने अल्पव्यस्क विवाह को लेकर प्राथमिकी दर्जकी है ,देखें होता है ? है न त्वरित कदम का यह बेजोड़ नमूना !
इतिहास बोध/ १८५७ स्वाधीनता संघर्ष इसलिए विफल हुआ कि ,उसमे रियासतें लड़ रही थी , जैसे ही समय ने करवट बदला ,तब १९४२ में 'अंग्रेजो भारत छोडो/करो या मरो, की आवाज बुलंद हुई , वैसे ही क्या ब्रिटिश भारत के नागरिक और क्या रियासतों के आम लोग ,सभी एकजुट होकर अंग्रेजो के विरूद्ध सड़कों पर निकल आये ,नतीजतन ब्रिटिश सरकार स्वतंत्रता दिए जाने की दिशा में कदम बढ़ाने को विवश हो गई ।
क्या रसोई गैस के मंत्री धर्मेंद्र प्रधान चोर हैं अर्थात कमीशनखोर हैं ? क्या उनको पत्ता है कि सिलेंडर आपूर्ति करने में कैसे -कैसे वितरण एजेंसी /डीलर निर्धारित दर से अधिक वसूली कर रहे हैं ,घरेलु दर ६११ रूपये ५० पैसे में सिलेंडर को घर तक पहुँचाना है ,लेकिन इसके अतिरिक्त राशि ३० रूपये घर तक पहुँचाने में वसूले जा रहे हैं । क्या इस गोरखधंधे से वह वाकिफ नहीं हैं ? क्या उनके देश भर के वितरण एजेंसिया ईमानदार हैं या फिर इस वसूली की रकम में हिस्सेदारी उन तक भी पहुंचती है !
रिश्ते की डोर की अहमियत एक बार फिर झारखण्ड के हजारीबाग में ममत्व की छाँव में लोगों को रूला गई ,जो आज के भागम -भाग जिंदगी में खास मायने रखती है , यह दृश्य उस वक्त लोगों के समक्ष उत्पन्न हुआ ,जब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के महानिदेशक दीपक मिश्र अपनी स्वर्गवासी धर्म माता संध्या देवी के लिए अस्थियां चुनने खुद पहुंचे थे ,जिसमे धर्म पुत्र के निर्वहन में कांपते हाथों से और अश्रुपूरित नयनो से अग्नि को समर्पित देह से खोजते दिखे ।
देश के महत्वपूर्ण टीकाकारों में शुमार विष्णु गुप्त इन दिनों गंभीर रूप से बीमार हैं , वह एक पखवारे पूर्व दिल्ली से भोपाल एक कार्यक्रम में भाग लेने गए थे ,जहाँ अचानक उनकी तबियत बिगड़ गई , इनको सर्वोत्तम हॉस्पिटल में भर्ती करके उनके शुभ चिंतकों ने इलाज में योगदान किये हैं ,ईश्वर इनके शीघ्र स्वास्थ्य में सहायक हो ,ऐसी कामना है ।
क्या नरेंद्र मोदी वाकई में "अराजनीतिक" वैक्तित्व हैं ? जैसा कि दो दिन पूर्व उन्होंने 'टाइम्स नाउ' को दिए साक्षात्कार में अपने बारे में कहा है । अगर ऐसा है ,तब तो बहुत गड़बड़ है दोस्तों -- !
मेदिनीनगर / शहर में पिछले चार दिनों से गंदला पेयजल की आपूर्ति हो रही है ,लेकिन इस संकट पर सामाजिक-राजनैतिक क्रियाविद परशुराम ओझा को छोड़कर कोई भी अन्य नेता/कार्यकर्त्ता सक्रिय नहीं है ,इस स्थिति को क्या कहा जाय ? इस नगर में जलापूर्ति को लेकर जितना ओझा सक्रिय एवं चिंतित रहते हैं ,उतना रत्ती भर भी डींग हांकने वाले नेता इस समस्या के निदान के लिए प्रयास करते अबतक नहीं दिखे हैं । ओझा ही वह शख्स हैं ,जो खुद के बुते क्या सुबह ,क्या दोपहर और क्या शाम पंपुकल /पीएचईडी दफ्तर में धावा बोलकर पेयजल के लिए जूझते हैं , ऐसे में शहर को मुर्दे का घर कहा जाये ,तो क्या गलत होगा !
झारखण्ड/ प्रदेश भाजपा प्रमुख ताला मरांडी के बेटा मुन्ना पर दुष्कर्म और अल्पव्यस्क लड़की से विवाह को लेकर उत्पन्न विवाद /प्राथमिकी से जितना नुकसान पार्टी को राजनैतिक तौर पर होना था ,वह हो चूका ,अब सामाजिक हलकों में भी धीरे -धीरे क्षति होते जाने के लिए भाजपा तैयार रहे । भाजपाइयों को समझना चाहिए कि ज्यादा चीँ -पोँ करने से खोई "शक्ति"वापस नहीं हो सकती ! कोई लाभ नहीं !
उत्तर प्रदेश में बसपा प्रमुख मायावती सत्ता सत्ता में आती है तब, नहीं आती है तब भी, "एक प्रमुख शक्ति" के रूप में राज्य में बनी रहेगी !
खबर मिल रही है कि प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में अगले विधान सभा के चुनाव में 'खेवनहार' के रूप में प्रचारात्मक भूमिका में अवतरित होने वाली है और अगर ऐसा है तब तो, कांग्रेस विरोधियों को प्रियंका से भी ज्यादा 'ग्लैमरस' (चमक-दमक) को मैदान लाना होगा !
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