#पत्रकार/ पत्रकारिता में कैसे-कैसे जीव -जंतु होते हैं ,इसका एक किस्सा याद आ रहा है । झारखण्ड राज्यपाल प्रभात कुमार को पलामू आना था ,स्वाभाविक तौर पर उनके कार्यक्रमों को कवरेज लिए जिला प्रशासन ने विशेष "पास" स्थानीय संवाददाताओं को निर्गत किया था और इसके सहारे जब पत्रकारों ने 'समाचार संकलन' शुरू किये ,तब राज्यपाल के सुरक्षाकर्मियों के साथ पलामू पुलिस असहयोगात्मक रुख अर्थात दुर्व्यहार वाला था ।
बाद में कार्यक्रम वाले दिन शाम को पत्रकारों ने इसकी शिकायत जिलाधीश सियाराम चरण सिन्हा से करने को तय किया ,सो उस संध्या को निश्चित समय हम पत्रकार उपयुक्त के आवास पर पंहुचे और उनसे स्व. महेंद्रनाथ त्रिपाठी एवं देवव्रत जी ने कहना शुरू किये कि आपके 'पास' का तौहीन करते हुए पुलिस अफसर और मातहत सुरक्षा बल हमें बेइज्जत किया है ,इससे हम क्षुब्ध हैं ,इसलिए इसके विरुद्ध कार्रवाई किया जाये !
यह सुनना था कि अचानक हमारे बीच चुपके से बैठ गए पत्रकार वासुदेव तिवारी ने हाथ जोड़ते हुए तपाक से बोले कि " इस शिकायत से मुझे अलग समझा जाए " अर्थात मेरी कोई शिकायत कवरेज को लेकर नहीं है ।
यह मुझे काफी नागवार सा प्रतीत हुआ और अप्रत्याशित ढंग से तिवारी को संबोधित करते हुए मेरे मुख से यह शब्द निकल पड़े 'गेट आउट फ्रॉम हियर ' तिवारी मेरे पीछे वाली कतार में बैठे थे ,मेरे अचानक बोल पड़ने से काफी देर तक चैम्बर में ख़ामोशी छायी रही ,फिर त्रिपाठी एवं अन्य मौजूद साथी पत्रकारो ने मुझे पुचकारते हुए मेरे गुस्से को शांत करने के यत्न करने लगे ।
फिर थोड़ी देर बाद तिवारी जी उपायुक्त को यह कहते हुए उठ खड़े हुए कि ' सर चैम्बर आपका और मुझे निकलने की धमकी दूसरे दे रहे हैं और आप चुप हैं 'इसपर जिलाधीश मुस्करा भर दिए --
#बसपा/ मायावती को यह नहीं भूलना चाहिए कि एक भाजपाई (दयाशंकर सिंह) ने उनको गाली दी ,लेकिन दूसरे भाजपाई (राजनाथ सिंह) ने उनकी अस्मत लूटने से रक्षा की थी ! याद है ,गेस्ट हाउस कांड ,इसलिए महाकवि रहिमन का यह दोहा बसपा को सदा स्मरण रखना चाहिए -"रहिमन धागा प्रेम का ,मत तोड़ो चटकाये ,टूटे तो फिर न जुड़े ,जुड़े पर गांठ पड़ जाये "
#सलमानखान / फिल्म स्टार सलमान खान एवं अन्य सिने कलाकार को चिंकारा शिकार में रिहा होने का मतलब है ,अभियोजन एवं न्यायिक प्रक्रिया में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है !
#कूटनीति/ भारत की #कश्मीर अर्थात #पाकिस्तान नीति में बहुत जल्द गुणात्मक बदलाव के आसार हैं !
#कांग्रेस /कांग्रेसियों के खेल देखिये -छत्तीसगढ़ में भाजपा से पैसे लेकर कमजोर प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारते हैं ,तो राहुल गाँधी गुजरात में जाकर फर्जी माँ से मिलते हैं ,है न मानसिक ढीलापन का बेजोड़ नमूना --
#system /राजशाही में अर्थात एकतंत्र में अर्थात अधिनायकवादी सत्ता में सिर्फ और सिर्फ एक शख्स की "रंगदारी" को लोग झेलते हैं ,लेकिन हमारे देश की मौजूदा लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था में तक़रीबन 4000 सामन्तों (सांसद /विधायक/विधान पार्षद)की रंगदारी से आम लोगों को गुजरना पड़ता है !
#झारखण्ड/ मेदिनीनगर-कांग्रेस के छात्र इकाई के नेता नौशाद आलम हैं ,आज मिलते ही करने लगे सदर अस्पताल के डॉक्टरों की शिकायत ,कहने लगे देखिये न संजय भैया , कल हम बहन को मौसमी बुखार के इलाज वास्ते अस्पताल गए ,तब बगैर जाँच किये ही चिकित्सक ने तीन हज़ार के दवा लिख दी और वह भी बाहर से खरीदने के लिए ! क्या जमाना आ गया -----
#आमआदमीपार्टी / #आप में पागलों की जमात है अर्थात यथार्थवादी व्यवस्था से लड़ने वाले समूहों की शरण स्थली है ,फिर कैसे कोई इससे झूझ सकता है ! पंजाब में अगले विधान सभा के चुनाव में इसी का परीक्षण होने जा रहा है ।
उनने आज गिफ्ट में अचानक मोबाइल थमा दिए ,एक नहीं ,बल्कि दो -दो ,एक हजार का तो दूसरा लाख का ,साथ ही इस हिदायत के साथ कि अब आप घर पर रहेगे ,बाहर बहुत जरूरी हुआ तब ही निकलेंगे ,और हाँ ब्रांडबैंड का बीएसएनएल कनेक्शन ख़त्म कर दें ,इसमें अनावश्यक पैसा खर्च होता है ,अब मैं उनको कैसे बताऊँ कि इस सांसारिक दुनिया में मुझे मन लगता नहीं। अगर मैं रुक गया ,तब मुझे वह खो देंगी !
#झारखण्ड/ आखिर मुख्य मंत्री रघुबर दास गत राज्य सभा के चुनाव में मतदान के ३६ घंटे पहले कांग्रेस के विधायक निर्मला देवी के आवास पर क्या करने पहुंचे थे ? क्या योगेंद्र साव के साथ काफी याराना था ,या फिर तैलिकवाद का जश्न था या कहें वणिकवाद की घनिष्ठता का अलख जगाने गए थे !
#झारखण्ड/ #कांग्रेस को राज्य में फक्र होना चाहिए कि उसके पास योगेंद्र साव जैसे संघर्षशील नेता मौजूद हैं ,जिसने जात -पात से परे विगत राज्य सभा के चुनाव में भूमिका निभाई ,ध्यान रहे साव और रघुबर दास स्वजातीय है ,फिर भी राजनीती की दिशा इनके बीच विपरीत है ,इसका दिग्दर्शन उक्त चुनाव में हुआ ,इसका कांग्रेसियों को भरपूर स्वागत करना चाहिए ।
#झारखण्ड/ मात्र छह दिन में विधान सभा की मानसून सत्र समाप्त हो गई । कोई बहस नहीं -- क्या लोकतान्त्रिक दृश्य है ?
#कांग्रेस /इस राजनैतिक दाल का उत्थान गुजरात से होगा और --
उनने मेरे हाथ में 'झुनझुना' तो थमा दी, मगर यह मेरे लिए जी-का जंजाल प्रतीत सा है ,देखिये आज मैंने उसके जरिये अपने दिल अजीज को सबसे पहले 'नमस्ते' किया ,फिर एक news item को भेजने में इतनी परेशानी हुई कि मत पूछिये ,मेरे ब्यूरो ने बार-बार मेरे लिखे शब्द को ताड लिया ,जो उन्हें रुक -रुक मिल रहा था ,सो ब्यूरो ने कॉल करके मुझसे समाचार की ब्रीफ ली । हम ठहरे डेस्क/लैप टॉप के माध्यम से काम करने वाले ,इस स्मार्ट फोन तो सिरदर्द लग रहा ! बेटी यह जानकार हँसते हुए कहती है ,प्रैक्टिस कीजिये पापा ,सब सिख जाएंगे ,--
#झारखण्ड/ मेदिनीनगर- #खासमहल भूमि के पट्टे को लेकर नवीनीकरण का मामला यथार्थ में राज्य सरकार की भूमिका जमींदार जैसी है ,जब पूर्व में पट्टे का नवीनीकरण एक बार नहीं बल्कि तीन-तीन बार हो चूका है ,तब फिर से सलामी कैसी ?
#झारखण्ड/ मेदिनीनगर- #खासमहल के जमीन पर लोग पौने दो साल से वैध तरीके से काबिज है , फिर इनको सलामी के जरिये भारी भरकम "टैक्स" वसूलने के लिए सरकार / प्रशासन का दबाव क्यों ,जैसे पहले आसान प्रक्रिया से पट्टे का नवीनीनकरण होता था ,वैसे ही प्रक्रिया क्यों नहीं अपनाई जा रही !
#झारखण्ड/ मेदिनीनगर - #खासमहल की भूमि को लेकर इस शहर नहीं ,बल्कि राज्य अन्य शहर के लोग भी वर्षों परेशान हैं, लेकिन सरकार अर्थात विधायकगण अर्थात सत्ता में आसिन्न नेता/अफसर इस मुद्दे को समझने लिए तैयार ही नहीं हैं !
#झारखण्ड/ मेदिनीनगर #खासमहल की भूमि को दिल्ली ,मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़ समेत छह राज्यों में 'फ्री होल्ड ' काफी पहले कर दिया गया है ,फिर यहाँ वैसा करने में क्या दिक्कत है ?
#झारखण्ड/ मेदिनीनगर - #खासमहल जैसे ही प्रकृति को जमशेदपुर में अपने मुख्य मंत्रित्व काल में अर्जुन मुंडा ने रियायती दर पर 'टाटा कंपनी' के जमीन को सहज ढंग से नवीनीकरण कर दिया और राज्य के लोगों के लिए वही मंहगे सलामी को रहने दिया था ,इस मुद्दे पर मैंने जब मेदिनीनगर दौरे पर आए मुंडा से जवाब -तलब की थी ,तब उनकी घिग्घी बध गई थी । इस दिलचस्प कहानी को फिर कभी बताऊंगा ,मौके पर जिले के कई वरिष्ठ भाजपाई ,अफसर ,विधायक और राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह मौजूद थे ,तबतक इंतजार कीजिये --
#झारखण्ड/ मेदिनीनगर - #खासमहल जमीन के नवीनीकरण नहीं होने से लोगों को बैंक से कर्ज नहीं मिल रहे, घरों के नक्शा पारित नहीं हो रहे हैं , घर/जमीन न तो ख़रीदा जा रहा और न ही बेचा जा रहा ,व्यापार/कारोबार प्रायः ठप्प हैं ,शादी/ब्याह में भी दिक्कत है ,फिर भी सरकार इसकी गंभीरता को समझ नहीं रही !
" तो क्या शहर में हवाई अड्डा बनाने की योजना है या सैनिक छावनी में खासमहल की भूमि में बसे नगरों को तब्दील करने पर सरकार विचार कर रही ।"
"नहीं, नहीं ,ऐसी कोई बात नहीं है ,लीज की शर्तों को हमने सभी के लिए आसान कर दिया है "
सवाल मेरे थे और जवाब तत्कालीन मुख्य मंत्री अर्जुन मुंडा के थे । यह बात उस दौर का है ,जब मुंडा अपने तीसरे मुख्य मंत्रित्व काल में #डालटनगंज आये थे ,इस दौरे के पखवारे भर पहले उनकी सरकार ने जमशेदपुर में टाटा कंपनी के लीज अर्थात [पटटे को रियायती दर पर आसानी से रिन्यूल अर्थात नवीनीकर कर दिया था ,लेकिन अन्य शहरों के बारे में कोई रियायत नहीं थी ।
स्थानीय परिसदन में मुंडा प्रेस प्रतिनिधियों से मुखातिब थे ,इनके आजू - बाजू तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल और वर्तमान मुख्य सचिव राजबाला वर्मा बैठी थी । मुख्य मंत्री विकास के बाबत लंबी -चौड़ी जानकारी पत्रकारों को दे रहे थे और संवाददातागण चुप चाप नोट कर रहे थे ,किसी ने सामयिक मुद्दे पर कोई प्रश्न नहीं पूछ रहे थे ,गोया जैसे मुंडा हमारे बॉस हो ।
तभी मैंने मुंडा को रोकते हुए खासमहल नवनीकरण पर सीधे सवाल किया ,"मुंडाजी आपने टाटा के जमीन को आसानी से नवीनीकरण कर दिया ,फिर अन्य नागरिकों के मामले में कोई कदम नहीं उठाया ,क्यों ? "
मुंडा - आपके लिए भी तो हमने निर्धारित रकम के दो और पांच फीसदी के भुगतान पर रिन्यूल करने का आदेश दे दिया है ।
सवाल - आप झूठ बोल रहे हैं ,क्या कोई उक्त प्रतिशत की राशि दे पायेगा ?पहले की तरह नवीनीकरण किये जाने के हुक्म क्यों नहीं देते ? क्या सरकार जमींदार हो गई है ? लोकतान्त्रिक व्यवस्था में सलामी कैसी ?
इसके बाद आस-पास के माहौल में अचानक सन्नाटा छा गई ,निगाहे मेरी ओर उपस्थित अफसर,नेता एवं अन्य की मेरी तरफ घूम गई और फिर मुंडा यह कहते हुए उठ खड़े हुए कि "सब तो कर ही दिया है " अर्थात भनभनाते ,बड़बड़ाते हुए चलने के लिए खड़े हो गए ।
बाद में मुंडा के जाने पर कई नामी -गिरामी भाजपाई मुझे लगे बधाई देने कि सच्चाई को आपने ही सामने रखा ,लेकिन मैं सोच रहा था कि क्या वास्तव में भाजपा में मरे हुए लोग हैं ,जो अपने नेता अर्थात मुख्य मंत्री को वस्तु स्थिति बताने से भी डरते हैं !
प्रतिपक्ष को कब समझ में आएगा कि हिन्दू कर्म-कांडो की आलोचना करके कभी भी वे अब भारतीय सामाजिक/राजनैतिक तौर पर भाजपा अर्थात नरेंद्र मोदी को मात नहीं दे सकते ! #शरद यादव/ #शरद पवार के पिछले दो दिनों के बयानों पर गौर करे --
#हिंदुत्व को अब गाली देकर कोई भी भारतीय राज व्यवस्था में काबिज नहीं हो सकता !
#दिराष्ट का सिंद्धान्त आज के भारतीय के जेहन में उतर गई है कि कैसे #पाकिस्तान अस्तित्व में आया ! अर्थात बना ।
#हिंदुत्व को आप जितना गाली दें ,आलोचना करें ,इससे आरएसएस ,भाजपा और धुर दक्षिणपंथी तत्व ही मजबूत होंगे !
जहां तक मेरी दृष्टि जा रही है ,वहां तक देख रहा हूँ कि #नरेंद्र मोदी का राष्टीय फलक में निकट भविष्य में कोई विकल्प नहीं है ! हाँ ,यह हो सकता है कि राज्यों में #भाजपा खत्म हो जाये !
#विकास चाहिए ,तब #पूंजीवाद को गले लगाना ही होगा ।
#झारखण्ड में अराजकता इसलिए है कि मुख्य मंत्री #रघुबर दास के पास अपनी कोई मौलिक दृष्टि अर्थात विचार नहीं है !
एक बात जो करीने से साफ है ,जो गहराई #लालकृष्णआडवाणी और #अटलबिहारीबाजपेयी में कभी दिखती थी ,वह #नरेन्द्रमोदी में परिलक्षित नहीं होती ,क्यों ?
#जो मित्र , #उत्तरप्रदेश के अगले विधान सभा के चुनाव में दिलचस्पी रखते हैं, उनको मेरा मशवरा है कि पिछले विधान सभा के चुनाव(२०१२) से जुडी मेरे पोस्ट का अध्ययन कर लें ,तब इसबार काफी मजा आएगा !
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