बिहार/ राजद विधायक को बलात्कार के मामले में क्या दुर्दशा हुआ नितीश राज में आपने देखा और अब जद(यू) विधान पार्षद के बेटे को हत्या के जुर्म में उनको कैसी-कैसी मुसीबतें झेलनी पड़ रही है ,वह भी सामने है ,इधर सिवान में पत्रकार हत्या कांड में कैसी त्वरित करवाई हो रही है ,यह भी किसी से छिपा नहीं है ,फिर कैसे लोग राज्य की विधि-व्यवस्था पर पक्षपात पूर्ण रवैये अपनाए जाने के आरोप मढ़ते हैं ,समझ में नहीं आते !
दुनिया "शक्ति" की भाषा ही समझती है ,इसे नरेंद्र मोदी से बेहतर कौन समझ सकता है !
झारखण्ड/ चतरा में मारे गए पत्रकार को लेकर खुलासा है कि कथित रंगदारी टैक्स नहीं देने की वजह से उसकी हत्या हुई , इसमें खास चिंता की बात है कि उनसे जब टीपीसी ने कथित रूप से लेवी की मांग की तब, उन्होंने पुलिस को इत्तिला क्यों नहीं की ? क्या पुलिस पर उनको भरोसा नहीं था ?
याद कीजिये कुछ साल पहले जी न्यूज के दो विज्ञापन अधिकारी नवीन जिंदल से सौ करोड़ रूपये की मांग इसलिए किये थे कि उनके गोरखधंधे को पर्दाफाश नहीं किया जा सके । इस बातचीत को उक्त उद्दोगपति ने टेप/वीडियोग्राफी भी चालाकी से किया था , मामला सामने आने पर काफी हो-हंगामे हुए थे , उक्त चैनल के परिचालक तो जेल की हवा खाने से बच गए लेकिन विज्ञापनकर्मी बने दोनों पत्रकार कारागार में कई क़ानूनी जद्दोजहद के बाद पहुँच गए ,इस मामले में क्या फलाफल है ?
मौलिक चिंतन/ बात आज की ही है , अधिवक्ता मुकुल चौबे ,इनके जूनियर मोहन पत्रकार अमरेंद्र और दो-तीन वकीलों के साथ आज की मौजूदा राजनीती पर बहस हो रही थी ,जिसमे मैं भी शरीक था , यह बातचीत चौबे के चैंबर में थी ,इसी क्रम में उन्होंने कहा - वोट के सवाल जब सामने आते हैं ,तब लोग जाति / धर्म को खोजने लगते हैं और जब अभियुक्त बनके समाज में व्यक्ति आता है ,तो उम्दा वकील की तलाश करते हैं ,इसी तरह मरीज को भी बेहतर डॉक्टर की खोज/सेवा की जरूरत होती है ,इसमें राजनीती लोग क्यों नहीं देखते ? बात वाकई दमदार मौजूद भाइयों को लगी , मैंने भी सहमति प्रकट की । सोचिये ऐसा क्यों होता है ? मुझे याद आता है महान लेखक एनसी चौधरी की बात ,जिन्होंने काफी पहले कहा था -भारतीयों के खून में ही भ्रष्टाचार है अर्थात देश की मिटटी में ही भ्रष्ट तत्व मौजूद हैं !
झारखण्ड/ पांकी विधान सभा के उप चुनाव के नतीजे से मुख्य मंत्री रघुबर दास को यह पत्ता चल गया होगा कि हमेशा दो और दो के मिलने से चार नहीं होता ! सामाजिक स्थितियां/ संवेदना बराबर राजनीती को प्रभावित करती आई है और भविष्य में भी करती रहेगी । यह मूलत; विज्ञानं नहीं है ,जिसे परिमापित किया जा सके ।
चार राज्यों के विधान सभा के चुनाव में भाजपा को खोने को कुछ नहीं था ,बल्कि हल्की सफलता भी उसे अन्य से ज्यादा कामयाबी के रूप में प्रतीत है !
मन बैचेन है,कुछ काम करने को मन नहीं कर रहा ,इसकी वजह क्या हो सकती है ,मुझे अनुभूत नहीं हो रहा, जो बातें फिलवक्त आपसे हो रही है यारों ,बेमन से है , लगता है इस आभासित दुनिया ने भी मुझे बहकने में मददगार बन गई है ,इसलिए सोचता हूँ ,इसका परित्याग कर दूँ और यह कुछ-कुछ पिछले डेढ़ सालों से दिल में हलचल मचाए है ,सलाह दें ,क्या करूँ ताकि सामान्य तरीके से रह सकूँ --
क्या चीन को इतनी क्षमता है कि वह पाकिस्तान की अर्थ व्यवस्था की जिम्मेदारी उठा सके ? पाक परजीवी देश है ,इसकी आर्थिकी अमेरिकी मदद पर निर्भर है ! फिर क्यों नहीं वह पाक को उपेक्षा करने की कूटनीतिक रणनीति की ओर कदम बढ़ाता ?
तमिलनाडु/एम करूणानिधि " ललच " के रह गए । एग्जिट पोल ने उनकी गठबंधन को बढ़त दे ही दी थी ।
क्या कार्ल मार्क्स ' हिंसक ' थे ?
वो " आसु " गीतकार हैं, पल में छन्द/गीत/नग्मे/शायरी रच देने में सानी नहीं है उनकी, 'ओठों' में नैसर्गिक मुस्कराहट ऐसी कि कोई भी कुर्बान होने में खुद को सौभाग्य समझे , वैसे नग्मेनिगार को भला कौन नहीं सान्निध्य चाहेगा ?
केरल में वीएस अच्युतवर्धन को मुख्य मंत्री न बनाकर माकपा भारी गलती कर रही है, अच्युतवर्धन पूर्व मुख्य मंत्री रह चुके हैं ,राष्टवादी सोच के वाहक के रूप में उसकी राज्य ही नहीं ,देश में अलग पहचान है । ऐसे में पी विजयन को पार्टी मुख्य मंत्री के दायित्व सौंपती है ,तब यह आने वाले कल में अंदरूनी संघर्ष को झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए !
भाजपा ,असम में चुनावी कामयाबी पाकर ज्यादा नहीं इतराए,यही उसके लिए ठीक होगा ,अगले वर्ष उत्तर प्रदेश-पंजाब विधान सभाओं चुनाव होश ठिकाने लगा देगा ,हार / जीत की स्थितियां हमेशा भिन्न रहती है ,खासकर लोकतान्त्रिक व्यवस्था के स्वरूप में ,इसे शाह -मोदी भी समझते होंगे !
दिग्विजय सिंह ने ठीक ही कहा है कि कांग्रेस को पूरी तरह से चीड़ -फार की जरूरत है ,ताकि वह मौजूदा और भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सके ,अब अात्म मंथन की आवश्यकता नहीं है ,लेकिन इसके ठीक उलटे अमरनाथ जैसे चाटुकार कहते हैं कि चार राज्यों के चुनाव परिणाम को सोनिया/राहुल की क्षमता को आंकने से बचा जाये । ऐसे में कांग्रेस कैसे पुनर्जीवित हो पायेगी !
कांग्रेस में हताशा इतनी है कि पार्टी में जान डालने अर्थात गति देने के लिए उत्तर प्रदेश के आसन्न विधान सभा के चुनाव में राहुल/प्रियंका को प्रोजेक्ट करके की आवाज उठा रहे हैं और इसकी हवा प्रशांत किशोर जैसे पार्टी के रणनीतिक प्रचार विषेशज्ञ दे रहे हैं ,कहाँ दोनों भविष्य के प्रधान मंत्री के ख्वाब में कांग्रेसियों के बीच थे !
क्या आपको नहीं लगता कि बसपा प्रमुख मायावती अपने चाल -ढाल से ब्राह्मणवादी व्यवस्था की पोषक है अर्थात सामंती संस्कृति की वाहक है !
क्या आपको यह अनुभूत नहीं होता कि देश में राजनीतिक क्षेत्र में आपराधिक तत्वों के प्रवेश करने के लिए न्यायपालिका भी एक जिम्मेदार है ? क्यों नहीं अदालतें समय की नजाकत को देखते हुए त्वरित सुनवाई करके अवांछित तत्वों को राजनैतिक अधिकार से वंचित करने में अपनी सकारात्मक भूमिका के जरिये योगदान देती है !
वो, साहित्य की लड़ी हैं और हम " जीवन मूल्यों " के पुजारी ,ऐसे में क्या इनमे मेल हो सकता है ?
देश के निचले कतार के नेताओं को भ्रष्टाचार अनुभव काफी होते हैं अर्थात इससे रूबरू रहते हैं ,फिर सांसद/विधायक निर्वाचित होकर कैसे इसकी उपेक्षा करते हैं ? क्या यह पूंजी का खेल नहीं है ?
चीन ,स्थल मार्ग के जरिये समुन्द्र को छुआ और भारत समुन्द्र के रास्ते भूमि को पाया ,फिर कैसे ग्वादर और चाबहार को लेकर भारतीय कूटनीतिज्ञ बल्ले -बल्ले करने पर उतारू हैं ?
क्या मैं सचमुच बिंदास हूँ ! जैसा कि गत रात अपने शहर शताब्दी मार्केट में बैठकबाजी कर रहे स्थानीय नटों/ पत्रकारों ने मुझे अपने बीच अचानक पाकर मुझे याद किया ।
मैं नित्य की भांति रात को अपने आवास लौट रहा था ,तभी कानों में भैया, संजय भैया की आवाज आई , घूमकर देखता हूँ ,तो मार्किट के प्रांगण में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष मनोज सिंह ,दिलीप तिवारी संग ,पत्रकारों में ब्रजेश तिवारी ,संजीव नयन , अविनाश समेत अन्य बैठकी जमाए हुए थे , तब थोड़े देर के लिए मैं भी वहां जम गया , मेरे बैठने के साथ ही बीच पहले से चल रहा विषय पर बातचीत थम गई और लगे मेरे बारे में ही चर्चा करने वह भी पूर्व मुख्य मंत्री अर्जुन मुंडा , जिलाधीश पूजा सिंघल ,आराधना पटनायक ,सुबोधनाथ ठाकुर जैसे विशिष्ट व्यक्तियों के साथ हुई आँख -मिचौली ,धींगा-मुश्ती ,आमोद-प्रमोद के क्षणों की बखान बड़े चाव से करने , कैसे मुंडा के प्रेस कांफ्रेंस का बायकाट हुआ, सिंघल को कैसे चुभन हुई ,आराधना होली कैसे मैंने रंग के बाबत किया ,ठाकुर को मैंने धमकी और बेइज्जत किया ,इन्हीं सब पर गप्पें होती रही ।
इस बातचीत के दौरान पहले चाय, फिर चना के बाद पिली वाली कोल्ड ड्रिंक का दौर चलता रहा और जब बैठक ख़त्म होने लगी तो तिवारी ने यह कहकर प्रशंसा की ,कि इसी अदा पर तो हम आप पर फ़िदा हैं संजय भैया , क्या वाकई मैं मैं बिंदास हूँ ,सोचता हूँ तो --
प्रधान मंत्री नरेंद्र दास दामोदर मोदी की पिछले दो सालों की सबसे बड़ी उपलब्धि /कामयाबी यह है कि देश में केंद्रीय/संघ स्तर पर भ्रष्टाचार की गति थम सी गई है ! इससे इत्तर कुछ भी नहीं --
लोकतान्त्रिक सरकार की खूबियों का पत्ता तब होता है ,जब नौकरशाही अर्थात लोक प्रशासन अपनी जिम्मेदारी को समझे !
आप राजनैतिक क्षेत्र में गुंडों ,बदमाशों ,आवारों और लथेरो से लड़ सकते हैं ,लेकिन आपराधिक तत्वों से नहीं ! क्योंकि इनके जेहन में किसी भी तरह से अपने हित के लिए 'हत्या' जैसे कृत्य छिपी रहती है और इसी से सामाजिक-राजनैतिक समाज खौफ खाता है । क्या भारतीय समाज के मौजूदा स्थिति में यह सच नहीं है ?
उत्तर से मायावती ,तो दक्षिण से जयललिता के बीच पूर्व से ममता का चेहरा क्या उन दोनों से ज्यादा जगमग नहीं है ? पहले के दोनों महिला नेत्रियों के चेहरे पैसे-कवडी के मामले में जो दागदार हैं ! मगर ममता के साथ ऐसा नहीं दीखता !
उत्तर प्रदेश/ मायावती के संग भाजपा पूर्व में गलबहियां कर चुकी है , तो क्या इस बार
विधान सभा के चुनाव के बाद मुलायम सिंह यादव के साथ रंगीन मिजाजी की फिजा होगी ! २०१७ में इस सूबे में चुनाव होना है ।
झारखण्ड/ चतरा पत्रकार हत्याकांड में दर्ज़ प्राथमिकी के नाम में से एक अभियुक्त के नाम उसमे से हटाने के एवज में कथित पुलिस अधीक्षक को दस लाख रूपये दिए जाने की कोशिश में गिरफ्तार उग्रवादियों के बाद यह सोचना पड़ता है कि आखिर कैसे हिम्मत हुई कातिलों को रिश्वत देने की ! इसका मतलब साफ है कि पूर्व में चतरा पुलिस नक्सली/उग्रवादी के साथ लेन -देन करती रही है ! तभी तो ऐसा मामला पहली दफे पकड़ में आया ! अर्थात जुर्रत की !
एक बात बताएं मित्रों--क्या प्यार -मोहब्बत में भी " वक्त " का महत्व होता है ? जहाँ तक मैं समझता हूँ ,यह " नैसर्गिक " प्रक्रिया है !
पाक की नागरिक सरकार या कहिए सैन्य प्रमुख ने भी परमाण्विक शक्ति के भारत के बाबत इस्तेमाल की बात नहीं की , बल्कि निदरलैैंड के एक चोर वैज्ञानिक अब्दुल कादिर ने धमकी दी , जो वहां परमाणु बम के जनक के रूप मेंख्यात है !
केंद्रीय दूर संचार मंत्री हैं रविशकर प्रसाद ,मूल काम में दिलचस्पी नहीं , हल्कि बातों में ज्यादा दिलचस्पी इनकी है ,देश के अस्सी फीसदी इलाकों में बीएसएनएल बदतर अवस्था में है , दुरूस्त करने की कोई चिंता नहीं ,और अब वह डाक से 'गंगा जल' बेचेंगे !है न मोदी के काबिल मंत्री की प्रवृति तारीफ करने लायक !
दिल में आग लगा के , भाग जाना उनकी फितरत है !
सोचा था कि उनको भूल जाऊ , मगर हर रह गुजर ,उनके घर के सामने है ,
दुनिया पगलाई है , ज़माने के रूप देखकर,
आप भी मत बदल जाना , मेरी यायावरी देखकर !!
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